नई दिल्ली/अल्मोड़ा, :
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में देशभर में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की तैयारियाँ अब अंतिम चरण में हैं। यह ऐतिहासिक अभियान 29 मई को ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ धाम से शुभारंभ होगा और 12 जून तक चलेगा। इस दौरान देशभर के 1.5 करोड़ किसानों से सीधा संवाद किया जाएगा।
पूसा कैंपस स्थित सुब्रहमण्यम हॉल में आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम के माध्यम से चौहान ने देशभर के कृषि वैज्ञानिकों, कृषि विश्वविद्यालयों, ICAR के 113 संस्थानों और 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। कार्यक्रम में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी, ICAR महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट सहित देशभर के वैज्ञानिक व प्राध्यापक उपस्थित रहे।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मैं सत्ता के लिए नहीं, किसानों की सेवा के लिए कृषि मंत्री बना हूं। मेरी हर सांस में खेती और रोम-रोम में किसान बसे हैं। हमारा उद्देश्य उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना और देश को खाद्यान्न सुरक्षा देना है।”

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसानों से सीधा जुड़ने की ऐतिहासिक पहल कर रही है। यह अभियान एक परिणाम उन्मुख कार्यक्रम है, जिसका असर इस खरीफ सीजन से ही देखने को मिलेगा।
चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे अपनी शोध क्षमता को वैश्विक स्तर पर सिद्ध करें। “हमारे कृषि संस्थानों में वह ताकत है, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानेगी,” उन्होंने कहा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मोदी सरकार कृषि अनुसंधान के लिए फंड की कमी नहीं होने देगी।
यह अभियान देश के 700 से अधिक जिलों में चलाया जाएगा, जिसमें कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन विभागों के अधिकारी, वैज्ञानिक और नवोन्मेषी किसान भाग लेंगे। गांव-गांव जाकर किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और वैज्ञानिक शोध की जानकारी दी जाएगी।
इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भाकृअनुप–विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (VPKAS), अल्मोड़ा तथा हवालबाग स्थित सभागारों में किया गया, जहाँ संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत, वैज्ञानिकगण एवं भाकृअनुप–CIFRI, भीमताल के निदेशक डॉ. अमित पांडे सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे।
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ न केवल किसानों को जागरूक करेगा, बल्कि कृषि क्षेत्र में नवाचार, आत्मनिर्भरता और सतत विकास की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।