अल्मोड़ा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद स्थानीय निवासियों को उम्मीद थी कि अब उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर लाभ मिलेगा, विशेष रूप से डायलिसिस जैसी महत्वपूर्ण सुविधा का लाभ यहां पर मिल सकेगा। हालांकि, बीते पांच वर्षों से अधिक समय के बावजूद अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में डायलिसिस की सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। इस कमी के कारण किडनी रोगी अब भी हल्द्वानी और अन्य स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हैं।
हंस फाउंडेशन के डायलिसिस सेंटर में केवल 6 यूनिट होने के कारण, यह सेवा सीमित है और दर्जनों मरीजों को यहां आने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति में, एक ओर बड़ी स्वास्थ्य सेवा की कमी, जैसे डायलिसिस की सुविधा का न होना, स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सरकार और मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं की पोल खोलता है।
मेडिकल कॉलेज के वर्तमान प्राचार्य और अधिकारियों द्वारा डायलिसिस सुविधा के लिए प्रयास नहीं किए जाने पर गंभीर सवाल उठते हैं। स्थानीय पार्षदों ने मिलकर प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा और एक माह के भीतर अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में कम से कम दो दर्जन डायलिसिस यूनिट स्थापित करने की मांग की है।
यहां तक कि अगर इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज डायलिसिस सेवा शुरू करने में कोई रुचि नहीं लेता है, तो आंदोलन की संभावना पर विचार किया जाएगा, जिसका जिम्मा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और राज्य सरकार पर पड़ेगा। पार्षदों ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो उन्हें मजबूरन आंदोलन की ओर रुख करना पड़ेगा। इस ज्ञापन में पार्षद वैभव पांडेय, दीपक कुमार, अनूप भारती, चंचल दुर्गपाल, विकास कुमार, प्रदीप चंद्र आर्य, इंटिखाब कुरेशी, गुंजन चम्याल और तुलसी देवी ने भाग लिया।
इस मामले की ओर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि अल्मोड़ा और आसपास के क्षेत्रों के लोग भी चिकित्सा सुविधाओं का उचित लाभ उठा सकें।