अल्मोड़ा नगर निगम चुनाव को लेकर राजनीति का माहौल काफी गर्म हो गया है। इस बार चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य रूप से देखा जा रहा है, जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी के कांग्रेस के समर्थन में जाने से स्थिति और भी दिलचस्प बन गई है। इस चुनाव में भाजपा के अजय वर्मा और कांग्रेस के भैरव गोस्वामी दोनों ही महापौर पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। इन दोनों प्रत्याशियों के बीच स्थानीय मुद्दों को लेकर सीधी टक्कर देखने को मिल रही है, और यही कारण है कि अब जनता भी दोनों के वादों को ध्यान से सुनकर और समझकर अपना निर्णय लेने के लिए तैयार है।
भाजपा प्रत्याशी अजय वर्मा ने अपनी चुनावी रणनीति में विकास और स्थिरता को मुख्य मुद्दा बनाया है। उन्होंने जनता को विश्वास दिलाया है कि यदि वे महापौर चुने जाते हैं, तो नगर निगम की कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाएंगे। अजय वर्मा ने नगर निगम की सफाई व्यवस्था, जलापूर्ति, सड़क निर्माण और अन्य बुनियादी ढांचे की उन्नति को प्राथमिकता दी है। इसके अलावा, उन्होंने स्थानीय व्यापारियों, छोटे उद्योगों और युवाओं के लिए रोजगार सृजन के वादे भी किए हैं। उनका कहना है कि यदि भाजपा सत्ता में आई, तो वह शहर के विकास में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार से अधिक धनराशि प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी भैरव गोस्वामी ने अपनी चुनावी जनसभाओं में ज्यादा जोर स्थानीय समस्याओं और आम आदमी के मुद्दों पर दिया है। उनका कहना है कि वे जनता के बीच जा कर, उनके मुद्दों को समझेंगे और महापौर बनने के बाद उनकी प्राथमिकता इन मुद्दों का समाधान करना होगा। भैरव गोस्वामी का कहना है कि शहर में व्याप्त जल संकट, कचरा प्रबंधन की खस्ता हालत और सड़क निर्माण में अनियमितताओं को सुलझाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। उन्होंने युवाओं को रोजगार और महिलाओं के लिए सुरक्षा और सम्मान की बात की है। भैरव गोस्वामी के अनुसार, कांग्रेस सरकार स्थानीय स्तर पर लोगों की समस्याओं के समाधान में ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।
इन दोनों प्रत्याशियों के बीच जबरदस्त मुकाबला हो रहा है। भाजपा और कांग्रेस के दोनों ही उम्मीदवार जनता से सीधा संवाद स्थापित कर रहे हैं। भैरव गोस्वामी जहां अपने व्याप मण्डल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों का हवाला दे रहे हैं, वहीं अजय वर्मा ने जनता के साथ सीधे संवाद को अधिक महत्व दिया है। दोनों ही प्रत्याशी नगर निगम की समस्याओं का समाधान और शहर के विकास को लेकर अपनी योजनाओं को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।
इस चुनावी परिदृश्य में, स्थानीय मुद्दे प्रमुख रूप से चुनावी बहस का केंद्र बने हुए हैं। महापौर के चुनाव में नागरिकों के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के वादे किए जा रहे हैं। वहीं, चुनावी वातावरण में निर्दलीय उम्मीदवारों का भी प्रभाव है, जो कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ एक वैकल्पिक विकल्प के रूप में सामने आ रहे हैं। इन सभी कारणों से अल्मोड़ा में होने वाला नगर निगम चुनाव काफी रोमांचक और निर्णायक होने वाला है।
अब यह देखना होगा कि जनता किस प्रत्याशी के वादों और कार्यों से संतुष्ट होती है और महापौर पद के लिए किसे अपना समर्थन देती है।