उच्चाधिकारियों की उदासीनता से 1200 कर्मचारियों में रोष, शासन से जल्द भुगतान की मांग
अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड सरकार के अधीन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत बीते 18 वर्षों से कार्यरत तकरीबन 1200 कर्मचारियों को पिछले 5 माह से मानदेय नहीं मिला है। इससे न सिर्फ इन कर्मियों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी प्रभावित हो रही है, बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा और परिवार की आर्थिक ज़रूरतें भी गम्भीर संकट में पड़ गई हैं।
इन कर्मचारियों से नियमित मनरेगा कार्यों के अतिरिक्त ग्राम्य विकास से जुड़े विभिन्न विभागीय कार्य, सर्वे कार्य और वर्तमान में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भी सेवाएं ली जा रही हैं। बावजूद इसके उन्हें उनका मेहनताना नहीं मिल पा रहा है।
मनरेगा कर्मचारियों का कहना है कि भारत सरकार द्वारा 13 मई 2025 को उत्तराखण्ड सरकार को प्रशासनिक मद एवं सामग्री मद के अंतर्गत आवश्यक धनराशि जारी कर दी गई है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही और लेटलतीफी के चलते आज तक भी उनका मानदेय लंबित है।
मनरेगा कर्मचारियों के संगठन द्वारा बार-बार शासन स्तर पर मानदेय जारी किए जाने की मांग उठाई गई है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र भुगतान नहीं किया गया, तो वे आंदोलन का रुख अपनाने को मजबूर होंगे। संगठन ने शासन से अपील की है कि संवेदनशीलता दिखाते हुए तत्काल मानदेय जारी कर कर्मचारियों को राहत प्रदान की जाए।