Almora – मां नंदा सुनंदा महिला संस्था की महिलाओं ने माता रानी की चौकी का आयोजन किया, जो अल्मोड़ा में भक्ति, श्रद्धा और सांस्कृतिक समर्पण का प्रतीक बनकर उभरा। इस आयोजन में विभिन्न धार्मिक गतिविधियों के माध्यम से मातृशक्ति और स्थानीय संस्कृति को समर्पित किया गया। इस कार्यक्रम ने न केवल धार्मिक भावनाओं को उजागर किया, बल्कि समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी दर्शाया।
आयोजन का शुभारंभ:
कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत पंडित द्वारा 51 कन्याओं का पूजन करके की गई। कन्याओं का पूजन भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे देवी का रूप माना जाता है। यह आयोजन माता रानी की महिमा को बढ़ाने के साथ-साथ समाज में कन्याओं के प्रति सम्मान और श्रद्धा को भी प्रदर्शित करता है। कन्याओं का पूजन करने से कार्यक्रम में उपस्थित सभी भक्तों में एक विशेष ऊर्जा का संचार हुआ, जिससे वातावरण भक्ति भाव से भर गया।
भजन संध्या का आयोजन:
इसके बाद, माता रानी की भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस संध्या में नीलम गंगोला और अन्य कलाकारों ने भक्तों को भक्ति गीतों से आनंदित किया। संगीत के माध्यम से भक्तों ने देवी भक्ति में डूबकर झूमते हुए ठुमके लगाए। भजन संध्या का माहौल इतना रोमांचक था कि हर कोई अपने-अपने भावों में लीन हो गया। नृत्य और गायन ने पूरे कार्यक्रम को एक जीवंत रूप प्रदान किया, जिससे सभी भक्त एक साथ मिलकर भक्ति का अनुभव कर सके।
अतिथियों की उपस्थिति:
कार्यक्रम में कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी जी ने अपने संबोधन में आयोजन की सराहना की और कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से समाज में एकता और भाईचारा बढ़ता है। पूर्व अध्यक्ष प्रकाश चंद जोशी जी और पूर्व चेयरमैन कॉपरेटिव ललित लटवाल जी ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए।
भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष रवि रौतेला, दीप सिंह डांगी, सुशील साह जी, नगर व्यापार मंडल के अजय वर्मा, भाजपा जिला महामंत्री धर्मेंद्र बिष्ट, हरीश कनवाल, नवीन बिष्ट, विपुल कार्की, सलमान अंसारी, मुकुल कुमार जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने भी कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन सभी ने कार्यक्रम की भव्यता को बढ़ाया और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए महिलाओं की सक्रियता की सराहना की।
महिलाओं की भूमिका:
कार्यक्रम की अध्यक्षता किरन पंत ने की, जिन्होंने पूरे आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी नेतृत्व क्षमता और दृष्टिकोण ने आयोजन को एक नई ऊंचाई दी। इस अवसर पर रीता पंत, पूनम बोहरा, मीना जोशी, अलका नज्जोन, हेमा मटेला, लीला चौहान, सोनिया कर्नाटक, जया जोशी, बीना पांडे, सीमा बेदी, नीतू कक्कर, बिना जोशी, उमा तिवारी, प्रभा वर्मा, प्रीता साह, बिंदु भंडारी, निशा बिष्ट, दिव्या पंत जैसे कई अन्य महिलाओं ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। इन महिलाओं ने न केवल आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि आज की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के बराबर खड़ी हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व:
यह कार्यक्रम केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह समाज में सकारात्मकता, एकता और सहयोग का संदेश देने का भी प्रयास था। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल भक्ति की भावना को बल मिलता है, बल्कि समाज में एकता और आपसी समझ भी बढ़ती है। महिलाओं के इस प्रकार के संगठन और कार्यक्रम यह दर्शाते हैं कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और आगे बढ़ाने में कितनी सक्रियता से जुटी हुई हैं।
सारांश:
मां नंदा सुनंदा महिला संस्था का यह आयोजन न केवल मातृशक्ति की प्रदर्शनी थी, बल्कि यह समर्पण, श्रद्धा और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी था। माता रानी की चौकी और भजन संध्या ने सभी उपस्थित लोगों के दिलों में भक्ति की एक नई लहर उत्पन्न की। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल धार्मिक भावना को मजबूती मिलती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि अगली पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोए रखे।
कार्यक्रम का समापन भक्ति गीतों और नृत्य के साथ हुआ, जिसमें सभी भक्तों ने मिलकर माता रानी की महिमा का गुणगान किया। इस आयोजन ने न केवल अल्मोड़ा की जनता को एकत्र किया, बल्कि यह साबित किया कि जब समाज एकजुट होता है, तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने और अपने मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा रहेगी।