अल्मोड़ा,
प्रेस वार्ता के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता विनय किरौला ने जानकारी दी कि पूर्व में उनके द्वारा संचालित “गांव चलो अभियान” का उद्देश्य अल्मोड़ा जनपद के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर ग्रामीणों की समस्याओं को समझना, शासन-प्रशासन तक उनकी आवाज पहुंचाना एवं गांवों को सामाजिक व आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना था।
उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत अब तक 200 से अधिक गांवों का भ्रमण किया जा चुका है। इस दौरान अनेक गांवों में ग्रामीणों के साथ बैठकें कर उनके अधिकारों को लेकर जनचेतना फैलाई गई तथा सड़कों, पेयजल की सुविधा और जंगली जानवरों के आतंक जैसी बुनियादी समस्याओं के समाधान हेतु धरना, प्रदर्शन व आंदोलन भी किए गए।
किरौला ने बताया कि इन गांवों में भ्रमण के दौरान यह सामने आया कि अधिकांश गांव सड़क, पानी और सिंचाई की मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। साथ ही, कृषि व बागवानी विभागों की घोर उदासीनता के कारण उन्नत बीज, उत्पादन, विपणन और समय पर कृषि सुविधाओं की उपलब्धता ग्रामीणों तक नहीं पहुँच पा रही है। इसके चलते ग्रामीणों को पलायन का सामना करना पड़ रहा है, जबकि संसाधनों की प्रचुरता होने के बावजूद उन्हें विकास से जोड़ने के प्रयास नाकाफी हैं।
इन्हीं अनुभवों के आधार पर “गांव चलो अभियान 2.0” की शुरुआत की जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य है कि गांवों में उपलब्ध मानव व प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग कर ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ा जाए और उन्हें स्वावलंबी बनाया जाए। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकार की विकास योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ ग्रामीणों को प्राप्त हो।
प्रेस वार्ता में विनय किरौला के साथ सामाजिक कार्यकर्ता सूजीत टम्टा, जीवन सिंह बिष्ट, रोहित मेहता, निरंजन पांडे एवं विजय खंम्पा भी उपस्थित रहे। सभी ने गांवों के चहुँमुखी विकास एवं ग्रामीण जनजागरण के लिए मिलकर कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई।
“गांव चलो अभियान 2.0” की शुरुआत: ग्रामीणों के अधिकार और स्वावलंबन को लेकर नई पहल

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