श्री भुवनेश्वर महादेव मंदिर एवं रामलीला समिति, कर्नाटक खोला, अल्मोडा में आयोजित श्री रामलीला महोत्सव 2024 के समापन समारोह ने धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान दी। इस दस दिवसीय महोत्सव का समापन तिलपात्र और विशाल भंडारे के साथ हुआ, जो न केवल आस्था का प्रतीक था, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने का भी माध्यम बना।
तिलपात्र की प्रक्रिया रामलीला के बाद की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इसमें पौराणिक किरदारों का अभिनय कर रहे कलाकार तिलपात्र के माध्यम से मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही, उन्होंने अपने अभिनय के दौरान हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना की। यह प्रक्रिया न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसे सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी देखा जाता है।
तिलपात्र के पश्चात, यज्ञ एवं हवन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से लोक कल्याण एवं जनहित की मंगलकामना की। यज्ञ और हवन में मंत्रों का जाप करते हुए श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था और विश्वास को एक नई ऊंचाई पर पहुँचाया।
समापन समारोह के बाद एक विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में परोसा गया भोजन केवल भक्ति का प्रतीक नहीं था, बल्कि यह समुदाय के एकजुटता का भी संकेत था। यज्ञ, हवन और सुंदर काण्ड पाठ के साथ इस समारोह ने धार्मिक और सामाजिक एकता को मजबूत किया।
समिति के संस्थापक एवं संरक्षक पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने इस अवसर पर उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने का एक माध्यम है। इस कार्यक्रम में सभी पदाधिकारी, कलाकार, कार्यकर्ता और स्थानीय लोग शामिल हुए।
इस अवसर पर बद्री प्रसाद कर्नाटक, तनोज कर्नाटक, बृजेश पाण्डे, महेश चंद्र कर्नाटक, कमलेश कर्नाटक, जगदीश चन्द्र तिवारी, हंसा दत्त कर्नाटक, दयाकृष्ण जोशी, अखिलेश थापा, कपिल मल्होत्रा, संतोष जोशी, दिनेश मठपाल, रजनीश कर्नाटक, कमल जोशी, देवेंद्र गोस्वामी, हेम पाण्डे, अनिल जोशी, आशु रौतेला, देवेंद्र जनौटी, कपिल नयाल, ललित बिष्ट, अजय विष्ट, निखिल तिवारी, कौशल पाण्डे, दीपा कर्नाटक, ममता कपूर, भावना मल्होत्रा, सीमा कर्नाटक, कविता पाण्डे, आशा मेहता, कंचन पाण्डे, रेखा जोशी, सुनीता बगडवाल, पूजा बगडवाल सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
इस प्रकार, श्री रामलीला महोत्सव 2024 ने न केवल धार्मिक मान्यताओं को सशक्त किया, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे का संदेश भी फैलाया। यह आयोजन हर किसी के दिल में एक सकारात्मक छाप छोड़ गया, जो आने वाले वर्षों में भी स्मरण किया जाएगा।