अल्मोड़ा। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा की चार वैज्ञानिक टीमों ने ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत हवालबाग, सल्ट, स्याल्दे और चौखुटिया विकासखंडों के विभिन्न गांवों का भ्रमण कर कुल 400 से अधिक किसानों से सीधा संवाद किया। भ्रमण के दौरान वैज्ञानिकों ने कृषकों को कृषि, बागवानी, पशुपालन, फसल बीमा, सौर ऊर्जा आधारित योजनाएं, यंत्रीकरण एवं नई तकनीकों की जानकारी प्रदान की।
हवालबाग ब्लॉक के चौना एवं रनखिला गांवों में डॉ. पंकज कुमार मिश्रा, डॉ. अनुराधा भारतीय एवं डॉ. गौरव वर्मा की टीम ने 114 कृषकों से मुलाकात की। वैज्ञानिकों ने उन्नत बीज, फसल कटाई के बाद की प्रोसेसिंग, फसल बीमा योजना एवं वन्यजीवों से फसल सुरक्षा के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत एवं मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार भी उपस्थित रहे। किसानों ने वन्यजीवों विशेषकर बंदरों व जंगली सूअरों से फसलों को हो रही क्षति और कृषि इनपुट की समय पर उपलब्धता पर चिंता जताई। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लक्ष्य बढ़ाने की भी मांग की।
सल्ट ब्लॉक के कुणीधार, नाहटनौला, सिवनलीहीट, बसीसीमार, मनसुभाखली एवं क्वेराला गांवों में डॉ. राजेश कुमार खुल्बे, डॉ. अमित कुमार और देव सिंह पंचपाल की टीम ने 72 किसानों से संवाद किया। किसानों को खरीफ फसलों की उन्नत किस्मों, सस्य क्रियाओं और लघु यंत्रों की जानकारी दी गई और उनकी प्रतिक्रियाएं ली गईं।
चौखुटिया ब्लॉक में डॉ. दिनेश जोशी, डॉ. प्रियंका खाती और डॉ. देवेंद्र शर्मा की टीम ने रामपुर और भगोटी क्षेत्र के 6 गांवों का दौरा किया। रामपुर में 6 पुरुष एवं 69 महिला किसानों ने भाग लिया, जबकि भगोटी में 40 पुरुष और 33 महिला कृषक सहभागी रहे। किसानों ने गुणवत्तापूर्ण बीज और सौर बाड़बंदी की आवश्यकता जताई। भगोटी क्षेत्र के कृषकों ने धान की फसल में पौधों के गिरने से बचाव हेतु बौनी किस्मों की मांग की।
स्याल्दे ब्लॉक में डॉ. अशोक कुमार, डॉ. जय प्रकाश आदित्य एवं धीरज दुबे की टीम ने इंटर कॉलेज मालीखेत और न्याय पंचायत गोलना के गांवों पायलगांव, कफलगैर, बरांगर में 105 कृषकों से संवाद किया। वैज्ञानिकों ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त फसलों जैसे लाल धान, सोयाबीन, गहत, कुल्थ, सफेद मडुआ आदि की उन्नत किस्मों की जानकारी दी। किसानों को लाल धान की ऊंची बाजार कीमत और संबंधित सरकारी योजनाओं के बारे में भी बताया गया।
भ्रमण के दौरान कृषि, बागवानी, पशुपालन, रेशम उत्पादन एवं सहकारी विभाग के अधिकारियों ने भी भाग लिया। उन्होंने पॉलीहाउस, नेट हाउस जैसी योजनाओं में मिलने वाली सब्सिडी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी दी।
किसानों ने आवारा पशुओं व वन्यजीवों से फसलों को हो रही हानि की समस्या प्रमुखता से उठाई। विशेषज्ञों ने सुगंधित फसलों की खेती को एक बेहतर विकल्प बताया। साथ ही, कृषकों ने मधुमक्खी पालन एवं सेरीकल्चर पर विकासखंड स्तर पर प्रशिक्षण की मांग भी रखी। वैज्ञानिकों ने इन विषयों पर शीघ्र प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने का आश्वासन दिया।
यह संवाद कार्यक्रम न केवल किसानों को नई तकनीकों से अवगत कराने में सफल रहा, बल्कि उनकी जमीनी समस्याओं को समझने और समाधान की दिशा में कार्य करने का भी माध्यम बना।