अल्मोड़ा – नवदुर्गामहोत्सव समिति, लक्ष्मेश्वर द्वारा आयोजित 11वें दुर्गामहोत्सव का भव्य शुभारंभ आज एक मंगल कलश शोभायात्रा के साथ हुआ। यह आयोजन क्षेत्र के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, और इसे धूमधाम से मनाया गया।
प्रातः 10 बजे खूँटकूनी भैरव मंदिर से शोभायात्रा का आरंभ हुआ। यहाँ, भगवान गणेश की पूजा के साथ क्षेत्रवासियों और समिति के सदस्यों ने बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं। सभी ने छोलिया नृतक के साथ मिलकर माँ दुर्गा के जयकारे लगाए। इस विशेष अवसर पर विवेकानंद इंटर कॉलेज, रानीधारा के बच्चों द्वारा प्रस्तुत छोलिया नृत्य ने उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
धार्मिक अनुष्ठान और लोक कल्याण की कामना
शोभायात्रा के बाद मातारानी के दरबार में एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया। आचार्य पं. श्री सतीश चंद्र जोशी और पंडित श्री चंद्रशेखर जोशी ने मुख्य यजमान श्री पंकज कुमार पंत, श्रीमती लता पंत, श्री रमेश चंद्र जोशी, और श्रीमती गीता जोशी के हाथों विभिन्न अनुष्ठानों का समापन किया। इनमें सर्वसिद्धि संकल्प, गणेश पूजन, दीप पूजन, मात्रिका पूजन, पुण्यावाचन, कलश स्थापना, नवग्रह प्राण-प्रतिष्ठा, और माँ दुर्गा की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा शामिल थे।
इस धार्मिक अनुष्ठान के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ वाचन और आरती का आयोजन भी किया गया, जिससे सभी उपस्थित लोग एकजुट होकर लोक कल्याण की कामना कर सके।
शोभायात्रा में उपस्थित लोग
इस भव्य शोभायात्रा में अनेक समिति के सदस्यों और स्थानीय नेताओं की उपस्थिति रही। समिति संरक्षक हेम चंद्र जोशी, आई.डी. तिवारी, भूपेंद्र जोशी, कमलापति पांडेय, त्रिलोचन जोशी, मंगल सिंह बिष्ट, तारू पांडेय, और कई अन्य प्रमुख सदस्य शामिल थे।
आयोजन में भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा, पूर्व जिलाध्यक्ष रवि रोतेला, कुंदन लटवाल, कैलाश गुरुरानी, पान सिंह, मावडी देवाशीष नेगी, हरीश कनवाल, मनोज जोशी, नवल पांडे, जगत भट्ट, हरेंद्र रावत, गोविंद बल्लभ पंत, दिनेश पांडे, मोहन चंद्र जोशी, सुरेंद्र गंगोला, सचिन डंगवाल, आनंद भोज, विपिन बिष्ट, भगवान रावल जैसे कई प्रमुख नेता भी उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक महत्व
इस आयोजन का सांस्कृतिक महत्व केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है। यह क्षेत्र के लोगों के बीच एकजुटता, भाईचारा और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देने का माध्यम भी है। शोभायात्रा में सैकड़ों क्षेत्रवासी शामिल हुए, जिन्होंने इस अवसर पर एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ साझा कीं।
समुदाय की भागीदारी
दुर्गामहोत्सव के इस आयोजन में स्थानीय समुदाय की भागीदारी ने इसे और भी भव्य बना दिया। महिलाओं की संख्या इस बार विशेष रूप से अधिक थी, जिन्होंने रंग-बिरंगे परिधान पहनकर शोभायात्रा में भाग लिया। क्षेत्रवासियों ने इस अवसर को यादगार बनाने के लिए अपने-अपने तरीके से योगदान दिया।
समिति के सदस्यों ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि सभी गतिविधियाँ सुचारू रूप से चलें। आयोजकों ने आयोजन स्थल को सजाने, संगीत की व्यवस्था, और अन्य सुविधाओं का ध्यान रखा, जिससे सभी को इस पावन अवसर का आनंद लेने का मौका मिला।
निष्कर्ष
11वें दुर्गामहोत्सव का यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने क्षेत्रवासियों के बीच सामुदायिक भावना को भी प्रबल किया। इस शोभायात्रा और धार्मिक अनुष्ठान ने सभी को एक साथ लाने का कार्य किया और लोक कल्याण की कामना के साथ एक सकारात्मक संदेश फैलाया।
लक्ष्मेश्वर में इस प्रकार के आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करते हैं, बल्कि समाज में एकता, सहयोग और प्रेम की भावना को भी बढ़ावा देते हैं। इस बार का दुर्गामहोत्सव निश्चित ही एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया।