अल्मोड़ा में इस समय नगर निगम के चुनाव को लेकर घमासान बना हुआ है सुर्खियों में इस समय व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष भैरव गोस्वामी के कांग्रेस का दामन थामने की खबरें है। भैरव के कांग्रेस का दामन थामते ही भाजपा कहा पीछे रहने वाली थी। भाजपा के जिलाध्यक्ष रमेश बहुगुणा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि भैरव उनके सक्रिय सदस्य थे ही नहीं। बस फिर क्या हो गई राजनीति में गर्मागर्मी उलट वार करते हुए भैरव ने भी गिना दिए 2002 से अब तक के अपने सभी दायित्व। खबरें अभी समाप्त नहीं हुई मामला और उफान पकड़ने लगा।
नगर निगम चुनावों को लेकर काँग्रेस पार्टी में काफी हलचल मच गई है, खासकर मेयर पद के लिए प्रत्याशी चयन को लेकर। सूत्रों के अनुसार, काँग्रेस पार्टी इस बार मेयर पद के लिए अपने पारंपरिक समर्पित दावेदारों के बजाय किसी बाहरी या आयातित व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रही है। इस निर्णय ने काँग्रेस के नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के दिग्गज नेताओं को खासा आहत किया है। इन्हें लगता है कि पार्टी के भीतर स्थानीय नेताओं के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है और उन्हें दरकिनार किया जा रहा है।
काँग्रेस के नगर और ग्रामीण दोनों इकाईयों के वरिष्ठ नेता इस स्थिति को लेकर काफी नाराज हैं। उनका मानना है कि स्थानीय राजनीति और जनसंपर्क की जो समझ उनके पास है, वही काँग्रेस पार्टी की जीत में सहायक हो सकती है, लेकिन पार्टी नेतृत्व के इस निर्णय से उनकी स्थिति कमजोर हो सकती है। ऐसे में यह आक्रोश आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। कई नेताओं ने यह संकेत भी दिया है कि चुनाव के दौरान नामांकन के बाद वे कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं, जो पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
पार्टी के भीतर यह असंतोष इसलिए भी गहरा हो गया है क्योंकि काँग्रेस के नेताओं का मानना है कि स्थानीय नेतृत्व के पास जनाधार होता है और उन्हें चुनाव में उम्मीदवार बनाने से पार्टी को व्यापक समर्थन मिल सकता है। इसके विपरीत, आयातित उम्मीदवार जो पार्टी के लिए नई हैं, उन्हें स्थानीय मतदाताओं से वही समर्थन नहीं मिल पाएगा। इसके परिणामस्वरूप, पार्टी की साख पर असर पड़ सकता है और चुनावी परिणाम भी प्रभावित हो सकते हैं।
इस आक्रोश को देखते हुए, काँग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश कमेटी के स्तर पर अब डेमेज कांट्रोल की रणनीति बन रही है। यह संभावना जताई जा रही है कि वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत की जाएगी ताकि उन्हें मनाया जा सके और उनकी नाराजगी को कम किया जा सके। इसके लिए कई प्रकार के समझौते और समायोजन किए जा सकते हैं, ताकि पार्टी में एकजुटता बनी रहे और चुनाव में पार्टी की जीत की संभावना बढ़ सके।
इसके अलावा, पार्टी के भीतर चल रहे असंतोष और नेतृत्व के फैसलों के प्रति नाराजगी को देखते हुए, काँग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को सही दिशा में प्रेरित करने और उन्हें समझाने के लिए विशेष रणनीति बना रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का यह प्रयास रहेगा कि सभी को एकजुट रखा जाए और चुनावी मौसम में किसी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जाए। साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि किस तरह से पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है ताकि वे पार्टी के पक्ष में मजबूती से काम करें और चुनावी मुकाबले को जीतने में मदद करें।
यह भी देखा जाएगा कि काँग्रेस पार्टी में किस प्रकार से चयनित उम्मीदवारों के प्रति विश्वास और समर्थन को बढ़ाया जा सकता है ताकि उनके चुनावी प्रदर्शन में कोई कमी न आए। अंततः, काँग्रेस पार्टी को इस मामले में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की जरूरत है ताकि उसके भीतर के असंतोष को कम किया जा सके और आगामी चुनावों में एक सकारात्मक और एकजुट स्थिति बन सके।