अल्मोड़ा। जिला बार एसोसिएशन अल्मोड़ा द्वारा पंजीकरण अधिनियम 1908 में प्रस्तावित संशोधनों व कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से दस्तावेज़ों के पंजीकरण की नई व्यवस्था को लेकर गहरी आपत्ति जताई गई है। अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड को एक ज्ञापन भेजते हुए इस व्यवस्था को आम जनहित और विधिक प्रक्रिया के लिए घातक बताया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान में दस्तावेज़ों का पंजीकरण एक योग्य उपनिबंधक द्वारा किया जाता है, जो विधि स्नातक होते हैं और सरकार द्वारा निर्धारित परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं। यह व्यवस्था पिछले 120 वर्षों से चली आ रही है और इससे पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता एवं वैधानिक नियंत्रण सुनिश्चित होता है।
बार एसोसिएशन ने चेताया है कि यदि पंजीकरण की जिम्मेदारी कॉमन सर्विस सेंटरों को सौंप दी गई, तो यह प्रक्रिया पूरी तरह प्रशासनिक निगरानी से बाहर हो जाएगी। इससे न केवल धोखाधड़ी और अवैध दस्तावेजों की संभावनाएं बढ़ेंगी, बल्कि भू-माफिया और बड़े बिल्डरों को भी फायदा पहुंचेगा। इसके अतिरिक्त, विवाह पंजीकरण, वसीयत, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप को पेपरलेस रजिस्ट्री के दायरे में लाना भी गंभीर सामाजिक और कानूनी जटिलताओं को जन्म दे सकता है।
बार एसोसिएशन ने इस निर्णय को आमजन और अधिवक्ता समुदाय के बीच विश्वासघात बताते हुए तत्काल प्रस्तावित व्यवस्था को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बदलाव से समाज में अराजकता फैल सकती है और राज्य सरकार की सशक्त भू-कानून नीति को भी क्षति पहुंच सकती है।
अधिवक्ताओं ने सरकार से आग्रह किया है कि पंजीकरण अधिनियम 1908 की पुरानी और स्थापित व्यवस्था को ही बरकरार रखा जाए और किसी भी नई व्यवस्था को लागू करने से पहले अधिवक्ता समुदाय से परामर्श अवश्य लिया जाए।
पंजीकरण की नई व्यवस्था पर अधिवक्ताओं ने जताई आपत्ति, मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

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