अल्मोड़ा, उत्तराखंड – भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की कर्मभूमि अल्मोड़ा में जनआक्रोश धीरे-धीरे उबाल पर पहुंचता जा रहा है। राष्ट्र नीति संगठन के तत्वावधान में चल रहा धरना-प्रदर्शन रविवार को पांचवें दिन भी गांधी पार्क में जारी रहा। अधिवक्ता विनोद तिवारी के नेतृत्व में हो रहे इस जनांदोलन को व्यापक जनसमर्थन मिलने लगा है।
धरना स्थल पर भारी संख्या में लोगों की मौजूदगी रही, जिसमें व्यापार मंडल, विक्टोरिया क्लब और “द एस्प्रेंट” से अजय जोशी जैसे प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए। समर्थन में आए संगठनों और लोगों ने प्रशासन और सरकार के प्रति नाराजगी व्यक्त की और आंदोलन को मजबूती प्रदान की।
धरने के दौरान अधिवक्ता विनोद तिवारी ने जिला प्रशासन को 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा, “यदि अगले 48 घंटे में कोई सक्षम अधिकारी गांधी पार्क में आकर हमारी मांगें नहीं सुनता और समाधान नहीं देता, तो मंगलवार से आंदोलन का दायरा न सिर्फ बढ़ा दिया जाएगा, बल्कि दो सूत्रीय मांगों को बढ़ाकर पांच सूत्रीय कर दिया जाएगा। यह आंदोलन अब जनांदोलन बनने की दिशा में अग्रसर है, जिससे सरकार के लिए गंभीर राजनीतिक संकट उत्पन्न हो सकता है।”
विनोद तिवारी ने यह भी स्पष्ट किया कि आंदोलन में भ्रष्टाचार के कई मामलों का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया जाएगा, जिससे प्रशासन की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। उन्होंने आगे कहा, “यह आंदोलन किसी पार्टी या सरकार के खिलाफ नहीं है, लेकिन अगर प्रशासन ने जल्द सुनवाई नहीं की, तो आंदोलन की दिशा बदलकर सीधा सत्ताधारी दल और सरकार के खिलाफ जाएगा।”
राष्ट्र नीति संगठन ने प्रेस बयान जारी करते हुए चेताया कि अब तक आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण और गैर-राजनीतिक है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी आंदोलन को राजनीतिक रूप दे सकती है, जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।
इसके साथ ही अल्मोड़ा की सभी छह विधानसभा सीटों के विधायकों को भी चेतावनी दी गई है कि यदि वे जनता के साथ खड़े नहीं हुए, तो भविष्य में इसका राजनैतिक मूल्य चुकाना पड़ सकता है।
आज के धरने में कई प्रमुख जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें नंदन सिंह बिष्ट, आनंद सिंह कनवाल, जोगा सिंह, निखिल सिंह, बलवंत सिंह, सुंदर सिंह बोरा, प्रकाश पांडे, पुरन सिंह बोरा, राजू कांडपाल, दीपक सिंह बिष्ट, देवेंद्र मेहता, राजेंद्र आर्या आदि के नाम प्रमुख हैं।
स्थिति को देखते हुए अब प्रशासन और सरकार के समक्ष यह स्पष्ट संदेश गया है कि यदि जनता की आवाज को अनसुना किया गया, तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी रूप ले सकता है और सरकार के लिए गहरे राजनीतिक संकट का कारण बन सकता है।