अल्मोड़ा — अल्मोड़ा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 109 के किमी 55 पर स्थित क्यारब क्षेत्र में सक्रिय क्रोनिक लैंड स्लाइड जोन के चलते यातायात व्यवस्था पूरी तरह से खतरे में है। इस संवेदनशील परिस्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय द्वारा एक पत्र के माध्यम से लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड शासन को सुझाव दिया गया है कि बाईपास निर्माण कार्य को पारंपरिक निविदा प्रक्रिया से मुक्त कर चयनित अनुबंध (सेलेक्शन बॉण्ड) के अंतर्गत शीघ्र प्रारंभ करने की अनुमति दी जाए।
पत्र में अधिशासी अभियंता, प्रांतीय खंड, लोनिवि, अल्मोड़ा के 3 मई 2025 के पत्र का हवाला देते हुए बताया गया है कि क्यारब सेतु के समीपवर्ती क्षेत्र में भूगर्भीय हलचलों के चलते लैंड स्लाइड जोन अत्यधिक सक्रिय हो गया है। इससे क्षेत्र में किसी भी समय बड़ी दुर्घटना की संभावना बनी हुई है। विभाग द्वारा भूवैज्ञानिकों के सहयोग से 4 वैकल्पिक रूटों का अध्ययन किया गया, जिनमें से तीन मार्ग अस्वीकृत किए गए। चौथा विकल्प — डोबा-चौराली-काकड़ीघाट मोटर मार्ग — ही तकनीकी दृष्टि से अपेक्षाकृत उपयुक्त पाया गया।
हालांकि इस मार्ग की वर्तमान स्थिति भारी वाहनों के संचालन हेतु उपयुक्त नहीं है, क्योंकि मार्ग कई स्थानों पर अत्यधिक संकरा है और ग्रेड तीव्र है। प्रस्तावित बाईपास की लंबाई लगभग 1.700 किमी होगी, जिसमें से 1.300 किमी मार्ग में पहाड़ का अतिरिक्त कटान कर चौड़ीकरण किया जाना है। इसके अतिरिक्त, कोसी नदी और स्थानीय गधेरे को पार करने हेतु 60 मीटर और 18 मीटर स्पान वाले दो वैली ब्रिज अस्थायी रूप से बनाए जाएंगे। इस संपूर्ण कार्य हेतु रु. 1056.21 लाख की लागत का अनुमान लगाया गया है।
यह प्रस्ताव 22 अप्रैल 2025 को मुख्य अभियंता, देहरादून द्वारा संस्तुति सहित सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार को अग्रसारित किया जा चुका है, जिसकी स्वीकृति शीघ्र अपेक्षित है। हालांकि, स्वीकृति के उपरांत यदि पारंपरिक निविदा प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो कार्य प्रारंभ होने में एक से दो माह का समय लग सकता है। यह विलंब जनसुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत जोखिमपूर्ण माना जा रहा है।
इस गंभीर परिस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए जिलाधिकारी ने अनुरोध किया है कि कार्य को दो या तीन भागों में विभाजित कर चयनित अनुबंध प्रणाली के तहत तत्काल प्रारंभ किया जाए, जिससे दुर्घटना की आशंका को टाला जा सके।
गौरतलब है कि 14 मई 2025 को आयोजित दिशा समिति की बैठक में सांसद एवं केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री सहित अन्य सदस्यों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया और शीघ्र निर्णय लेने के निर्देश दिए।
यह निर्णय यदि शीघ्रता से लिया जाता है तो न केवल आमजनमानस की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि एक महत्वपूर्ण राजमार्ग की सुचारुता भी पुनर्स्थापित की जा सकेगी।