अल्मोड़ा।
इंटरनेशनल डांस डे के अवसर पर अल्मोड़ा में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भव्य आयोजन किया गया। इस मौके पर नगर के प्रमुख कलाकारों ने भारतीय नृत्य कला को संरक्षित और प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया। स्थानीय कलाकारों ने नृत्य को केवल एक कला नहीं, बल्कि स्वस्थ और सकारात्मक जीवन जीने का माध्यम भी बताया।
इस अवसर पर अल्मोड़ा के प्रसिद्ध नृत्य निर्देशक नीरज सिंह बिष्ट और हर्ष टम्टा ने कहा कि अल्मोड़ा न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक नगरी भी है। उन्होंने कहा कि यहां अनेक कलाकारों ने अपनी कला के माध्यम से क्षेत्र को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया है। नीरज सिंह बिष्ट और हर्ष टम्टा के अनुसार, उनके ‘नटराज डांस एंड ज़ुम्बा फिटनेस इंस्टिट्यूट’ के माध्यम से बच्चों को भारतीय नृत्य की बारीकियों से परिचित कराया जा रहा है। उनका मानना है कि युवाओं में नृत्य के प्रति रुचि जागृत कर भारतीय सांस्कृतिक विरासत को मजबूत किया जा सकता है।

नीरज सिंह बिष्ट ने बताया कि वह पिछले 15 वर्षों से अल्मोड़ा में सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में सांस्कृतिक संयोजक के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। नीरज ने देश के विभिन्न राज्यों में अपनी नृत्य प्रस्तुतियों से अल्मोड़ा का नाम रोशन किया है। उनकी उत्कृष्ट कोरियोग्राफी के लिए उन्हें प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चंद्रन द्वारा ‘बेस्ट डांस कोरियोग्राफी अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है।
कार्यक्रम के दौरान नन्हे बच्चों से लेकर युवाओं तक ने विभिन्न नृत्य विधाओं जैसे कथक, भारतीय लोक नृत्य और समकालीन नृत्य शैलियों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दीं। दर्शकों ने कलाकारों की प्रस्तुति को सराहा और पूरे कार्यक्रम स्थल पर उत्साह का वातावरण बना रहा।

नीरज सिंह बिष्ट और हर्ष टम्टा ने बताया कि वे अपने संस्थान के माध्यम से बच्चों को कथक सहित अन्य भारतीय नृत्य शैलियों का ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रशिक्षण दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय नृत्य शैलियाँ हमारी अनमोल धरोहर हैं और नई पीढ़ी को इनकी सुंदरता और गहराई को आत्मसात कर आगे बढ़ाना चाहिए। उनका मानना है कि नृत्य के माध्यम से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि यह मानसिक संतुलन और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए और कलाकारों ने इस दिन को भविष्य में भी इसी जोश और उमंग के साथ मनाते रहने का संकल्प लिया। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को संजोना और उसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाना हम सभी की जिम्मेदारी है।