टिहरी – उत्तराखंड के चहुंमुखी विकास के लिए राज्य की स्थाई राजधानी का निर्धारण एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग, अब उत्तराखंड के हर कोने में गूंजने लगी है। इस संदर्भ में टिहरी जिले के ग्राम चुरेण्ड़ा (ब्लॉक कंडीचौड़) के सत्य सिंह रावत ने 6 मार्च से एक जनसंपर्क अभियान शुरू किया है, जिसमें वह दोपहिया वाहन पर सवार होकर टिहरी से विभिन्न चौराहों और कस्बों में लोगों से मिलकर उन्हें इस मांग के महत्व को समझा रहे हैं। उनका मानना है कि राज्य का गठन पर्वतीय क्षेत्रों के विकास के उद्देश्य से हुआ था, इसलिए राजधानी भी पर्वतीय अंचल में ही होनी चाहिए थी।
राजनेताओं ने इस क्षेत्र के लोगों से धोखा करते हुए राजधानी को देहरादून में स्थानांतरित किया, जो कि पहाड़ी क्षेत्रों के विकास में एक बड़ी बाधा बन गई। कुछ समय पहले गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन अस्थाई राजधानी के रूप में घोषित किया गया, लेकिन यह भी एक छलावा साबित हुआ। सत्य सिंह रावत का कहना है कि गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने से राज्य के पर्वतीय इलाकों का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा, क्योंकि यहां की भौगोलिक परिस्थितियाँ विशेष रूप से विषम हैं।
इस अभियान का उद्देश्य उत्तराखंड के नागरिकों को जागरूक करना है ताकि वे इस मांग को उठाएं और राज्य आंदोलनकारियों का सपना साकार हो सके। अगर गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाया जाता है, तो राज्य के विकास की दिशा बदल सकती है और यह पर्वतीय क्षेत्रों में व्यापक समृद्धि ला सकता है।