विगत 4 वर्ष पूर्व की गई घोषणा और 6 माह पूर्व मिले वन भूमि हस्तांतरण अनुमति के पश्चात भी सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ ना होने पर पूर्व उपाध्यक्ष एन.आर.एच.एम. बिट्टू कर्नाटक संबंधित विभाग पर भड़के और जिलाधिकारी के माध्यम से एक पत्र संबंधित विभागों को भेजकर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की। श्री कर्नाटक में जारी एक बयान में कहा कि उन्होंने तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा  लोअर माल रोड़ अल्मोड़ा में यातायात के दबाव को कम करने तथा रैलापाली-सरकार की आली के निचले भाग को सम्पर्क मार्ग से जोड़ने के लिये उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत जी से उक्त मार्ग की स्वीकृति की घोषणा कराई, जिसके अन्तर्गत लोअर माल रोड़ से ग्राम रैलापाली-सरकार की आली से बितालेश्वर  मार्ग जो लगभग 3.3 कि0मी0 का है स्वीकृत किया गया था । तदुपरांत उन्होंने लोक निर्माण विभाग अल्मोड़ा के प्रान्तीय खण्ड द्वारा  जियोलाजिस्ट की रिर्पोट भी तैयार करवा ली थी ।

                कर्नाटक ने कहा कि भारत सरकार पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप उत्तराखण्ड़ शासन के शासनादेश संख्या 1243/ग्-3-20/1(141)/2020  द्वारा वन भूमि का गैर वानिकी कार्यो हेतु लोक निर्माण विभाग को प्रत्यावर्तित करने की सैद्वान्तिक स्वीकृति भी प्राप्त हो चुकी है । लगभग चार वर्ष का समय व्यतीत हो जाने के बाद भी सर्वे के उपरान्त भूमिधरों की भूमि को चिन्हित कर अधिग्रहण करने के लिये मुआवजा वितरित कर निर्माण कार्य प्रारम्भ किये जाने के लिये लोक निर्माण विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी ।

                उन्होंने कहा  कि अभी तक नाप भूमि का मुआवजा न वितरित हो पाना विभाग/शासन को सन्देह के घेरे में लाता है । उक्त मार्ग की आवश्यकता अल्मोड़ा एवं विशेषकर नगर पालिका में सम्मिलित लोअर कर्नाटक खोला ,पिछड़ा हुआ गांव रैलापाली व सरकार कीआली अतिरिक्त खास प्रजा  के गांवों के लिये अत्यंत आवश्यक है जिसे देखते हुये पूर्व में मुख्यमंत्री घोषणा के अन्तर्गत स्वीकृति प्रदान करायी गयी थी, किन्तु विभाग की उदासीनता के कारण इस सड़क के निर्माण को रोका गया है ।

   कर्नाटक ने जिलाधिकारी,अल्मोड़ा से मांग की कि उक्त सम्पर्क मार्ग निर्माण की प्रगति की समीक्षा करते हुये रोड निर्माण का कार्य लम्बित रखने वाले दोषी अधिकारियों के विरूद्व कठोर कार्यवाही करते हुये कार्य प्रारम्भ करवाया जाय । अन्यथा विवश होकर उन्हें स्थानीय नागरिकों के साथ लोक निर्माण विभाग के  कार्यालयों में तालाबन्दी/उग्र आन्दोलन जैसी कार्यवाही के लिये बाध्य होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी विभाग एवं सरकार की होगी ।