पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने जारी एक बयान में कहा कि कोविड-19 (कोरोना संक्रमण) एवं गिरती हुई अर्थव्यवस्था के कारण बढ़ रही बेरोजगारी से आज उत्तराखण्ड़ राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों के हजारों युवा बेरोजगारी की कगार पर आ गये हैं । केन्द्र व राज्य सरकार स्वरोजगार व आत्मनिर्भरता बनने की बात कर रहे हैं किन्तु युवाओं को आज कोई सही मार्ग दिख नहीं रहा है । सरकारों के द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि बिना किसी गारन्टी आदि के बैंकों द्वारा बेरोजगारों को ऋण उपलब्ध कराया जायेगा । किन्तु इस दिशा में बेरोजगार नवयुवकों को सैकडों चक्कर बैंकों में लगाने के बाद भी स्वरोजगार सम्बन्धी ऋण उपलब्ध नहीं हो पा रहा है ।
कर्नाटक ने बताया कि इसी क्रम में चीड के पत्ते पिरूल से बिजली उत्पादन कर उसकी राख से कोयला बनाकर आज उत्तराखण्ड में एक नई दिशा महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार के रूप में मिल सकती है । उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनपदों में पिरूल भरपूर मात्रा में उपलब्ध है जिस कारण जंगलों में गर्मियों में भीषण आग लग जाती है जिससे जंगली जानवर, अनेकों महत्वपूर्ण वनस्पति एवं जल श्रोतों को काफी नुकसान होता है । जबकि यदि इस पिरूल का सही उपयोगा किया जाय तो बायो एनर्जी द्वारा पिरूल गैसिकरण से बिजली और कोयला उत्पादन करने से युवाओं को स्थायी आजिविका प्राप्त हो सकती है ।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रोजेक्ट से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार की दिशा में एक बडा महत्वपूर्ण कदम हो सकता है जिससे महिलाओं के अतिरिक्त अनेकों नवयुवकों को भी रोजगार उपलब्ध होने के साथ साथ बिजली आदि की समस्या एवं स्वरोजगार की दिशा में आत्मनिर्भरता आ सकती है । कर्नाटक ने कहा कि राज्य सरकार तत्काल इस क्रम में प्रथम चरण में न्याय पंचायत स्तर से इस योजना को लागू करे ताकि धीरे-धीरे सभी ग्राम पंचायतें भी आच्छादित हो जांय जिससे हजारों युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा व जंगल भीषण आग की चपेट से भी बच पायेगे फलस्वरूप पर्यावरण भी शुद्व बना रहेगा ।