अल्मोड़ा- प्रेस को जारी एक बयान में धीरेन्द्र कुमार पाठक प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एन‌‌‌ एम ओ पी एस उत्तराखंड ने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी द्वारा पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए आवाज उठाई गई‌ और चुने गये सत्तर विधायको में से एकमात्र विधायक द्वारा ही कार्मिकों का पक्ष लिया गया।जबकि 69 विधायक खामोश रहे और केवल सुनते रहे।जबकि सभी अन्य 69 विधायकों द्वारा भी पुरानी पेंशन का समर्थन करना था जबकि रिपीट विधायकों को उनके गृह क्षेत्र में ज्ञापन सौंपा गया था और आज समर्थन की बारी थी तो चुप रहे।इसका सीधा मतलब है कि अन्य विधायकों को पुरानी पेंशन बहाली हो या न हो कोई मतलब नहीं है,क्योंकि उन्हें तो शपथ ग्रहण करते ही पुरानी पेंशन मिल जायेगी और सरकार के मुखिया द्वारा भी कोई बयान जारी नहीं किया गया जबकि यह राज्य का ही विषय है।ऐसी स्थिति में इतना तय है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने के लिए उत्तराखंड में भी आर पार के आंदोलन की आवश्यकता है।सभी संगठनों को एकजुटता दिखानी होगी अन्यथा यह बीस वर्षीय कार्यक्रम न बन जाएं।उन्होंने कहा कि पूर्व में भी पूर्व विधायक रानीखेत करन मेहरा द्वारा भी कई बार विधानसभा में पुरानी पेंशन बहाली की मांग रखी गई थी। उन्होंने एन एम ओ पी एस के शीर्ष पदाधिकारियों से भी अनुरोध किया है कि एक बार उत्तराखंड के सभी संगठनों के पदाधिकारियों से वार्ता कर जनपदों में धरना,प्रदर्शन,रैली शुरू करने की आवश्यकता है अपनी आवाज को बुलन्द करने के लिए सभी को एकजुट होना ही होगा।उत्तराखंड राज्य के लिए कर्मचारी 94 दिन हड़ताल पर रहे और अब पुरानी पेंशन के लिए इसी तरह के बड़े आंदोलन की आवश्यकता है।