अल्मोड़ा — मार्च माह का वेतन अब तक न मिलने के कारण समग्र शिक्षा अभियान के तहत संचालित जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है। शिक्षकों का कहना है कि अप्रैल माह में बच्चों की पुस्तकों, कापियों, ड्रेस इत्यादि की खरीदारी सहित पारिवारिक एवं सामाजिक जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं, ऐसे में समय पर वेतन न मिलने से उन्हें भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
इस संबंध में शिक्षकों ने एक बैठक आयोजित कर अपनी समस्याओं को साझा किया। बैठक की अध्यक्षता हेमेश्वर गंगवार ने की। बैठक में संजय जोशी, शीबा सिद्दीकी, स्नेहलता विष्ट, नीमा विष्ट, कैलाश चंद्र सहित अन्य शिक्षकों ने अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि पिछले एक दशक से सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित विद्यालयों में शिक्षकों के वेतन भुगतान में लगातार देरी हो रही है, लेकिन आज तक इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है।
शिक्षकों ने कहा कि अप्रैल जैसे खर्चीले माह में वेतन न मिलने से न केवल उनके पारिवारिक जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, बल्कि सामाजिक दायित्वों का निर्वहन भी कठिन हो गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वित्तीय प्रबंधन की अनदेखी के चलते हर वर्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे शिक्षकों का मनोबल प्रभावित हो रहा है।
शिक्षकों ने प्रशासन से मांग की कि मार्च माह के लंबित वेतन का शीघ्र भुगतान सुनिश्चित किया जाए तथा भविष्य में वेतन भुगतान में नियमितता लाई जाए, ताकि वे मानसिक तनाव से मुक्त होकर विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा दे सकें।