अल्मोड़ा। नगर क्षेत्र में विवेकानंद द्वार के समीप स्थित शराब की दुकान के विरोध में आज समस्त पार्षदगण, सामाजिक संगठनों एवं स्थानीय नागरिकों द्वारा जोरदार धरना-प्रदर्शन किया गया। इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों की भागीदारी रही।
प्रदर्शन स्थल पर लोगों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उक्त दुकान को अविलंब हटाने की मांग की। वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि शराब की यह दुकान एक धार्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्र के बिल्कुल समीप स्थित है, जो न केवल सामाजिक वातावरण को दूषित कर रही है बल्कि युवाओं को भी ग़लत दिशा में प्रेरित कर रही है।
वक्ताओं ने कहा कि जिस स्थान पर यह दुकान स्थापित की गई है, वह विवेकानंद द्वार, मंदिर, स्कूल और सांस्कृतिक केंद्रों के पास है, जो इसे और भी अधिक आपत्तिजनक बनाता है। प्रदर्शनकारियों ने एक सुर में चेतावनी दी कि यदि आगामी 15 दिनों के भीतर दुकान को वहां से नहीं हटाया गया तो यह आंदोलन जिला स्तर पर बड़े जनांदोलन का रूप ले लेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।
यह आंदोलन पूर्णतः शांतिपूर्ण रहा और इसमें जनहित की भावना को सर्वोपरि रखा गया। धरने में पार्षद दीपक कुमार, मधु बिष्ट, चंचल दुर्गापाल, वैभव पाण्डेय, विकास कुमार, अनुप भारती, गुंजन चमयाल, मुकेश कुमार समेत कई जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
सामाजिक कार्यकर्ताओं में महेश चंद्र आर्य, भुवन अधिकारी, वकुल शाह, अश्विन नेगी, ललित सिंह फर्त्याल, गौरव भंडारी, मोहन चौहान, रोहित सिंह, प्रदीप भाकुनी, राहुल फुलारा, सुशील साह, पुरन सिंह रौतेला आदि के साथ रमेश नेगी, राधा बिष्ट, लता तिवारी, तारा तिवारी, फेमिना खान, रविंद्र कुमार टम्टा, राहुल गुप्ता, कमल बिष्ट, शुभम जोशी, भरत मेहरा सहित कई युवा एवं वरिष्ठ नागरिक मौजूद रहे।
प्रदर्शन में कंचन उप्रेती, रंजना गैरा, राहुल अधिकारी, विनय कनवाल, विशाल बिष्ट, नीरज डंगवाल, जगदीश तिवारी, किरण आर्या, दिनेश पांडेय, हर्षित रावत, भैरव गोस्वामी, बलवंत सिंह राणा, नीरज बोरा, दिनेश पिलख्वाल समेत क्षेत्र के अनेक गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल शराब की दुकान के स्थान को हटवाना है ताकि शहर की सामाजिक मर्यादा और भावनाएं सुरक्षित रह सकें। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि जनभावनाओं का सम्मान करते हुए अविलंब कार्रवाई की जाए।