भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा में 27 मार्च, 2025 को “हिन्दी का सरकारी संस्थानों में महत्त्व” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ परिषद गीत और दीप प्रज्वलन से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. हरिशंकर गुप्त, माननीय अध्यक्ष, कृषि आयोग, असम एवं पूर्व महानिदेशक, बोरलॉग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया उपस्थित रहे।
कार्यशाला में भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह पाल ने सभी का स्वागत किया। संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने हिंदी के महत्व पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सभी भाषाओं को समाहित कर सकती है। उन्होंने संस्थान की हिंदी प्रगति की जानकारी दी और अपील की कि हिंदी को समझा जाए न कि उसपर बल दिया जाए।
मुख्य वक्ता डॉ. हरिशंकर गुप्त ने हिंदी भाषा के इतिहास और विकास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिंदी की सरलता और उसकी बढ़ती भूमिका को देखते हुए इसे राष्ट्रभाषा के रूप में प्रचारित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी जानना हमारे लिए सम्मान की बात है और इसे प्रोत्साहित करने से भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी।
कार्यशाला में भाकृअनुप के सामाजिक विज्ञान की अनुभागाध्यक्ष डॉ. कुशाग्र जोशी, डॉ. रश्मि गुप्ता सहित सभी वैज्ञानिक, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यशाला का सफल संचालन रेनू सनवाल ने किया और धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. प्रियंका खाती ने दिया।