अल्मोड़ा -राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय छतोला बलना, लमगड़ा में तैनात वरिष्ठ सहायक शिक्षा विभाग गिरधर सिंह धानक के विरुद्ध चल रहे विवादित प्रकरण में शिक्षा विभाग ने गंभीर रुख अपनाया है। कुछ दिन पूर्व एक प्रमुख समाचार माध्यम द्वारा प्रकाशित खबर में गिरधर सिंह धानक की सरकारी सेवा में रहते हुए निजी कंपनी में निदेशक पद पर कार्यरत होने का मामला उजागर किया गया था। खबर के प्रकाशन के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया और तत्काल जांच के निर्देश जारी किए।
प्रकरण की जांच खंड शिक्षा अधिकारी लमगड़ा द्वारा की गई, जिनकी जांच रिपोर्ट दिनांक 11 मार्च 2025 को जिला शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा को प्रस्तुत की गई। इस रिपोर्ट में उल्लेख है कि आपके कार्यालय पत्रांक संख्या 5822-23 दिनांक 15 फरवरी 2025 के क्रम में प्रकरण की जांच हेतु कार्यालय आदेश संख्या 101 दिनांक 06 नवम्बर 2024 के माध्यम से चार सदस्यीय खंड स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया था।
जांच के दौरान शिक्षक गिरधर सिंह धानक ने समिति के समक्ष बयान देते हुए बताया कि उनकी नियुक्ति दिनांक 04 जून 2018 को मृतक आश्रित के रूप में की गई थी। उन्होंने स्वीकार किया कि नियुक्ति से पूर्व वे अपने पारिवारिक फर्म “मैसर्स गोलू देव इंफ्राटेक्चर प्राइवेट लिमिटेड” में निदेशक के पद पर कार्यरत थे, लेकिन सरकारी सेवा ग्रहण करने के पूर्व उन्होंने यह पद त्याग दिया था। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में इस फर्म के निदेशक पद पर उनकी पत्नी प्रेमा धानक एवं भाई तेजपाल सिंह धानक कार्यरत हैं।
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हालांकि इस दावे की सच्चाई की पुष्टि के लिए खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने दिनांक 21 नवम्बर 2024 को पत्रांक 876 के माध्यम से रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज, देहरादून को पत्र भेजा। पत्र में अनुरोध किया गया कि फर्म “मैसर्स गोलू देव इंफ्राटेक्चर प्राइवेट लिमिटेड” में 04 जून 2018 के बाद से निदेशक पद पर कार्यरत व्यक्तियों की सूची प्रदान की जाए। इस क्रम में रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज द्वारा अपने पत्र संख्या ROC/Record/2024/733 दिनांक 12 दिसम्बर 2024 के माध्यम से फर्म से संबंधित निदेशकों की सूची प्रेषित की गई। यह सूची अधोहस्ताक्षरी कार्यालय द्वारा पत्रांक 1038 दिनांक 28 दिसम्बर 2024 को जिला शिक्षा अधिकारी को पूर्व में ही प्रेषित की जा चुकी है।
उक्त जानकारी के आधार पर 03 मार्च 2025 को मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट www.mca.gov.in से फर्म की स्थिति का ऑनलाइन अवलोकन किया गया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से देखा गया कि गिरधर सिंह धानक दिनांक 08 जनवरी 2015 से फर्म में निदेशक (डायरेक्टर) के रूप में सक्रिय हैं और वर्तमान में भी कंपनी के “सिग्नेचरी” के रूप में पंजीकृत हैं।
इस जानकारी की पुनः पुष्टि लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड, देहरादून के प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष (निर्माण द्वितीय वर्ग) के पत्र संख्या 240/108 परि-नि-2/2025 दिनांक 28 फरवरी 2025 के माध्यम से भी की गई, जिसे शिक्षा महानिदेशक, देहरादून को भेजा गया और विद्यालय के प्रधानाचार्य को संज्ञान हेतु प्रेषित किया गया।
जांच में सामने आए तथ्यों, दस्तावेज़ों एवं रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज से प्राप्त जानकारी से प्रथम दृष्टया यह प्रमाणित होता है कि गिरधर सिंह धानक ने उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 के नियम 3(1), 3(2) तथा 14 का उल्लंघन किया है। नियम 3(1) के अंतर्गत प्रत्येक राज्य कर्मचारी से यह अपेक्षा की जाती है कि वह ईमानदारी, निष्पक्षता और पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेगा। नियम 3(2) के अनुसार, कोई भी कर्मचारी ऐसा कोई निजी व्यवसाय या गतिविधि नहीं कर सकता जिससे उसकी सरकारी सेवा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े। वहीं, नियम 14 स्पष्ट करता है कि बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के कोई भी राज्य कर्मचारी किसी व्यवसायिक संस्था का सदस्य, निदेशक अथवा प्रबंधक नहीं बन सकता।
उक्त उल्लंघनों को ध्यान में रखते हुए खंड शिक्षा अधिकारी लमगड़ा द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा को प्रेषित जांच आख्या में यह अनुशंसा की गई है कि उक्त प्रकरण में आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु सक्षम प्राधिकारी से निर्देश प्राप्त किए जाएं। विभाग अब उच्चाधिकारियों से आगे की विधिक एवं प्रशासनिक कार्रवाई हेतु मार्गदर्शन की प्रतीक्षा कर रहा है।
यह संपूर्ण प्रकरण शिक्षा विभाग में व्याप्त नियमों की अनदेखी तथा पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा करता है। साथ ही यह उदाहरण भी प्रस्तुत करता है कि मीडिया की सजगता किस प्रकार प्रशासन को जवाबदेह बनाकर आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेरित कर सकती है। यदि समय रहते जांच कर उचित कार्रवाई की जाती है, तो ऐसे प्रकरण भविष्य में पुनः न दोहराए जाएं — यही इस मामले से मिलती सबसे बड़ी सीख है।