ICAR-VPKAS हवालबाग (अल्मोड़ा) में श्रमिक संगठन ने संस्थान प्रशासन द्वारा की जा रही अनियमितताओं के विरुद्ध अपना धरना जारी रखा। धरना स्थल पर सभी श्रमिक एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं। मुख्य रूप से यह आंदोलन श्रमिकों के अधिकारों के हनन, वेतन संबंधित समस्याओं और ठेकेदार की गैर-जिम्मेदाराना कार्यशैली के विरुद्ध है।
धरने के दौरान श्रमिक संगठन के प्रतिनिधि विनोद कुमार पन्त (एडवोकेट) के मार्गदर्शन में श्रमिकों ने प्रशासन से वार्ता करने की कोशिश की, लेकिन संस्थान प्रशासन ने किसी भी प्रकार की स्पष्ट वार्ता करने या आश्वासन देने से इनकार कर दिया। इससे यह प्रतीत होता है कि प्रशासन श्रमिकों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनके अधिकारों को दबाने का प्रयास कर रहा है।
प्रशासन की उदासीनता और ठेकेदार की गैर-जिम्मेदारी संस्थान प्रशासन ने अब तक ठेकेदार को श्रमिकों के समक्ष उपस्थित होने के लिए नहीं कहा है। इसके बजाय, ठेकेदार को फोन पर वार्ता करने के लिए कहकर श्रमिकों की समस्याओं को टालने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, संस्थान समन्वयक द्वारा की जा रही अभद्रता और अपमानजनक व्यवहार को लेकर भी पहले से ही श्रमिकों में असंतोष व्याप्त है। इसके बावजूद, समन्वयक को उनके पद से हटाने की कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जिससे श्रमिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
आंदोलन को तोड़ने के प्रयास संस्थान के अधिकारी धरने में बैठे श्रमिकों पर दबाव बना रहे हैं और आंदोलन को समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। श्रमिकों को फोन करके काम पर वापस लौटने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस तरह के प्रयास श्रमिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हैं और उनके आंदोलन को कमजोर करने के लिए किए जा रहे हैं।
आंदोलन की अगली रणनीति संस्थान प्रशासन की अनदेखी और दबाव के चलते श्रमिक संगठन सामाजिक कार्यकर्ताओं और क्षेत्रीय जनता के सहयोग से आंदोलन को और तेज करने के लिए बाध्य हो गया है। यदि प्रशासन जल्द ही कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाता, तो आंदोलन व्यापक रूप से फैल सकता है और श्रमिक समुदाय का संघर्ष और अधिक उग्र हो सकता है।
संस्थान प्रशासन को चाहिए कि वह श्रमिकों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए ठेकेदार को वार्ता के लिए बुलाए और समन्वयक के खिलाफ उचित कार्यवाही करे। अन्यथा, श्रमिक संगठन अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।