साभार मीडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘मीडिया डायलॉग’ के दूसरे अंक का आयोजन अल्मोड़ा के शारदा पब्लिक स्कूल के ऑडिटोरियम में किया गया। इस सालाना कार्यक्रम का उद्देश्य पत्रकारों, मीडिया विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाकर मीडिया के बदलते स्वरूप और लोकतंत्र में उसकी भूमिका पर गहन चर्चा करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व संपादक (जनसत्ता) ओम थानवी के उद्घाटन सत्र से हुई, जिसमें उन्होंने ‘बदलता मीडिया, बदलता लोकतंत्र’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। थानवी ने अपने चार दशकों से अधिक के पत्रकारिता अनुभव को साझा करते हुए भारतीय पत्रकारिता की गौरवशाली विरासत और उसके विकास पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे मीडिया का स्वरूप समय के साथ बदला है और वर्तमान में मीडिया को कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
थानवी ने कहा कि संचार की विषयवस्तु और उसके प्रसार में काफी वृद्धि हुई है, और उन्होंने विशेष रूप से रेडियो के वैश्विक प्रसार का उल्लेख किया। उनका मानना था कि भारत में भी रेडियो की लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाकर इसके प्रसार को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले दशकों में मीडिया की शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में वृद्धि हुई है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।
सोशल मीडिया और मुख्यधारा की पत्रकारिता के बीच अंतर पर भी श्री थानवी ने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली सूचनाओं की विश्वसनीयता और नियंत्रण मुख्यधारा की पत्रकारिता की तुलना में काफी कम होता है। उनका कहना था कि पत्रकारिता सिर्फ सूचना देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह समाज में समझ और विवेक को स्थापित करने का काम भी करती है, जो लोकतंत्र को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान में पत्रकारिता के सत्ता के प्रति झुकाव और बाजार के प्रभाव को लेकर चिंता भी जताई।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में डॉ. भूपेन सिंह द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘क़ैद में मीडिया’ पर विमर्श हुआ। डॉ. भूपेन ने अपनी पुस्तक के माध्यम से मीडिया की स्वतंत्रता और उस पर बढ़ते नियंत्रण के विषय पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का असल इतिहास लगभग 200 से 250 साल पुराना है, और हाल के वर्षों में मीडिया के स्वरूप और दायित्वों में हो रहे बदलाव को वैश्विक दृष्टिकोण से समझा जाना चाहिए। उन्होंने एक बेहतर पत्रकारिता के लिए यह सुझाव दिया कि प्रत्येक नागरिक द्वारा दिए गए टैक्स का एक हिस्सा पत्रकारिता के लिए होना चाहिए, जो ना तो सत्ता के नियंत्रण में हो और ना ही कॉरपोरेट्स के प्रभाव में।
सहभागियों द्वारा किए गए सवाल-जवाब सत्र में श्रोताओं ने विभिन्न मुद्दों पर प्रश्न पूछे और अपनी जिज्ञासाओं का समाधान किया। यह सत्र अत्यधिक संवादात्मक और विचारोत्तेजक था, जिसमें मीडिया के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में प्रसिद्ध संगीतज्ञ प्रमोद जोशी और उनकी टीम ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक शानदार प्रस्तुति दी। इस संगीतमय सत्र में राग मुल्तानी पर आधारित रचनाओं पर प्रस्तुति दी गई, जिससे उपस्थित दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। प्रमोद जोशी के साथ उनकी टीम के सदस्य कोमल पाठक (तानपुरा), जीवन चंद्र (हारमोनियम), और कमल जोशी (तबला) ने संगत दी, जिससे वातावरण संगीतमय और समृद्ध हो गया।
इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए थ्रीश कपूर ने शारदा पब्लिक स्कूल का आभार व्यक्त किया और सभी सहयोगी संस्थाओं, व्यक्तियों और उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन नीरज पाँगती ने किया।
साभार मीडिया फाउंडेशन भविष्य में भी ऐसे सार्थक आयोजनों को आयोजित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो मीडिया, लोकतंत्र और संस्कृति पर विचार-विमर्श को बढ़ावा दें।