पंडित बिरजू महाराज जी की तीसरी पुण्यतिथि के पावन अवसर पर एक विशेष आयोजन हुआ, जिसमें अल्मोड़ा के युवा कथक नर्तक नीरज बिष्ट को बनारस में नृत्य प्रस्तुत करने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ। इस आयोजन को वरिष्ठ कथक शिष्या संगीता सिन्हा द्वारा आयोजित कथक यज्ञ के रूप में एक भव्य और सम्मानजनक मंच पर प्रस्तुत किया गया। यह आयोजन पंडित बिरजू महाराज जी के प्रति श्रद्धांजलि और भारतीय नृत्यकला के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक अद्भुत अवसर बना।
नीरज बिष्ट ने इस विशेष अवसर पर अपनी नृत्य प्रस्तुति के बारे में बताते हुए कहा कि इस सुंदर प्रस्तुति का पूरा श्रेय उन्हें अपनी गुरु, पूनम नेगी को देते हैं। उन्होंने कहा, “मैं वास्तव में आभारी हूं कि बचपन से ही उनके आशीर्वाद से नृत्य की कला को सीखा और आज इस मुकाम तक पहुँच पाया।” नीरज के अनुसार, पूनम नेगी ने उन्हें कथक की बारीकियों को समझने और उसे सही तरीके से मंच पर प्रस्तुत करने की कला सिखाई। उनके मार्गदर्शन में नीरज ने कथक के हर अंश को सजीव रूप से प्रस्तुत किया, जो दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गया।
कथक यज्ञ के दौरान नीरज ने कथक नृत्य की विभिन्न मुद्राओं और तालों के माध्यम से दर्शकों का दिल जीता। उनकी प्रस्तुति में नृत्य के हर पहलू को बारीकी से निभाया गया, जिसमें रचनात्मकता और भावनाओं का उत्कृष्ट मिश्रण था। उनका नृत्य पूरी तरह से पंडित बिरजू महाराज जी की शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित कथक के उच्चतम मानकों के अनुरूप था।
इस आयोजन ने कथक नृत्य के प्रति युवा पीढ़ी में एक नई जागरूकता और सम्मान उत्पन्न किया। साथ ही, यह प्रमाणित किया कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की सही दिशा में प्रस्तुति और संरक्षण के लिए गुरु-शिष्य परंपरा का महत्त्व कितना अनमोल है। नीरज बिष्ट की इस उपलब्धि ने यह भी साबित कर दिया कि भारतीय नृत्य कला में पारंपरिकता और आधुनिकता का सुंदर संयोजन किया जा सकता है, जिससे यह कला हमेशा जीवित रहेगी।