अल्मोड़ा: राजपुरा में आयोजित रामलीला के पहले दिन का शुभारंभ भाजपा नेता गोपाल जीना ने किया। इस अवसर पर उन्होंने रामायण की कथा के महत्व और इसके सामाजिक लाभों के बारे में विस्तार से बताया। रामलीला एक ऐसा उत्सव है जो केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
राम की कथा का महत्व
गोपाल जीना ने कहा, “राम की कथा सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को समझाने का माध्यम है। यह हमें सिखाता है कि कैसे सत्य, धर्म और न्याय की राह पर चलना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि रामायण की कथा समाज में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में सहायक होती है और यह हमें सही और गलत के बीच का अंतर समझाती है।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि देवाशीष नेगी, सलमान अंसारी, मुकुल कुमार, मनमोहन भंडारी, ललित मिश्रा, किशन लाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी अतिथियों ने रामलीला के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों से समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
पहले दिन की रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण के चरित्रों का अभिनय किया गया। कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। राम के वनवास और सीता के अपहरण की कहानी को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया गया। दर्शकों ने कलाकारों के प्रति अपनी प्रशंसा व्यक्त की और तालियों से उनका उत्साहवर्धन किया।
युवा पीढ़ी की भागीदारी
रामलीला में युवा पीढ़ी की भागीदारी देखकर आयोजकों ने खुशी व्यक्त की। गोपाल जीना ने कहा, “यह देखना अच्छा है कि युवा हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को समझने के लिए इस प्रकार के आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।” उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया कि वे रामायण की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।
समाज में एकता का संदेश
रामलीला के माध्यम से एकता और भाईचारे का संदेश देने पर जोर दिया गया। देवाशीष नेगी ने कहा, “रामलीला केवल एक नाटक नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के मूल्यों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करती है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से समाज में सामूहिकता और सहयोग की भावना मजबूत होती है।
श्रोताओं की प्रतिक्रिया
रामलीला के पहले दिन दर्शकों का उत्साह देखने लायक था। उन्होंने न केवल कार्यक्रम का आनंद लिया, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश को भी गहराई से समझा। कई दर्शकों ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से न केवल मनोरंजन होता है, बल्कि यह धार्मिक भावनाओं को भी प्रबल करता है।
आयोजकों की मेहनत
राजपुरा में आयोजित इस रामलीला को सफल बनाने के लिए आयोजकों ने काफी मेहनत की थी। मंच सजाने से लेकर कलाकारों की तैयारी तक, हर एक पहलू पर ध्यान दिया गया था। आयोजकों ने यह सुनिश्चित किया कि कार्यक्रम हर उम्र के लोगों के लिए आकर्षक और ज्ञानवर्धक हो।
सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
गोपाल जीना ने कहा, “रामलीला हमारे सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है। हमें इसे संरक्षित और प्रचारित करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस से प्रेरित हो सकें।” उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे इस प्रकार के आयोजनों में भाग लें और इसे आगे बढ़ाने में मदद करें।
समापन
राजपुरा में रामलीला का यह आयोजन न केवल धार्मिक था, बल्कि यह सामाजिक एकता और संस्कृति के संरक्षण का एक सशक्त माध्यम भी था। गोपाल जीना और अन्य अतिथियों के विचारों ने दर्शकों को प्रेरित किया और यह संदेश दिया कि रामायण की कथा को अपने जीवन में उतारना कितना महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार, रामलीला का यह आयोजन केवल मनोरंजन का साधन नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक और धार्मिक जागरूकता का भी माध्यम था। आगे आने वाले दिनों में इस कार्यक्रम का उत्साह और बढ़ने की संभावना है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।