अल्मोड़ा । अंतरराष्ट्रीय जल दिवस के उपलक्ष्य में, 24 और 25 मार्च 2025 को मानसखंड विज्ञान केंद्र, अल्मोड़ा में जल गुणवत्ता निगरानी पर दो दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला जल शक्ति मंत्रालय, उत्तराखण्ड जल संस्थान और उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (UCoST), देहरादून के संयुक्त प्रयासों से आयोजित की गई।
कार्यशाला का उद्देश्य जल के संरक्षण और गुणवत्ता में सुधार के लिए शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों और शोधार्थियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण देना था। कार्यशाला का मुख्य विषय “उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थानों के लिए जल गुणवत्ता निगरानी और व्यावहारिक प्रशिक्षण” था, जिसका लक्ष्य जल संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहलू को समझाना और इसे शैक्षणिक संस्थानों में लागू करना था।
इस कार्यशाला में जल के संरक्षण और गुणवत्ता में सुधार से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमें जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक मापदंडों के बारे में जानकारी दी गई। कार्यशाला के द्वितीय दिवस में मुख्य प्रशिक्षक डॉ. महादेव सेमवाल, निदेशक, ईकॉन प्रयोगशाला और परामर्श, देहरादून ने जल गुणवत्ता और उपलब्धता पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार जल के विभिन्न पैरामीटर जैसे पीएच, टीडीएस, कंडक्टिविटी, एलकैलिनिटी आदि पर गहराई से चर्चा की।
इसके साथ ही, ईकॉन लैब देहरादून के सदस्य निखिल कुमार और एम. के. एस. सी. के तकनीकी कर्मचारियों ने छात्रों को जल गुणवत्ता मापने के लिए आवश्यक उपकरणों का उपयोग करके व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया। यह सत्र छात्रों को जल गुणवत्ता की निगरानी में सुधार के लिए आवश्यक कौशल और तकनीकी जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था।
कार्यशाला के समापन समारोह में एस. एस. जे. विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा की रसायन विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रूबीना अमान और वानिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर केंद्र प्रभारी डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यशाला की सफलता में उनके योगदान को सराहा।
कार्यशाला के संयोजक डॉ. जी. सी. एस. नेगी ने संक्षिप्त आख्या प्रस्तुत की और छात्रों को भविष्य में ऐसी कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। प्रो. रूबीना अमान ने कार्यशाला में भाग लेने वाले छात्रों और शोधार्थियों को उत्साहित किया और भविष्य में इस तरह की कार्यशालाओं में भाग लेने के लिए उन्हें प्रेरित किया। प्रो. अनिल कुमार यादव ने जल, वन और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्यशालाओं के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यशाला के समापन पर डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने उपस्थित अतिथियों के माध्यम से प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और धन्यवाद प्रस्ताव पढ़ा। उन्होंने विशेष रूप से प्रो. दुर्गेश पंत, महानिदेशक, उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, देहरादून द्वारा प्राप्त मार्गदर्शन और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
कार्यशाला में एस. एस. जे. विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के विभिन्न विभागों जैसे वानिकी विज्ञान, रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, और जंतु विज्ञान से 150 से अधिक छात्रों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों ने भाग लिया। कार्यशाला में मानसखंड विज्ञान केंद्र के कर्मचारियों ने भी सक्रिय योगदान दिया।
यह कार्यशाला जल संरक्षण और जल गुणवत्ता में सुधार के लिए शैक्षणिक संस्थानों और शोधकर्ताओं को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, और भविष्य में ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन से कुमाऊं क्षेत्र में जल गुणवत्ता के प्रति जागरूकता और विशेषज्ञता का स्तर और भी ऊँचा हो सकता है।