आओ मेरे उत्तराखंड में
आओ मेरे उत्तराखंड में, स्वागत है दिल से तुम्हारा,
यहाँ पहाड़ों की गोद में बहती, निर्मल गंगा की धार।
हवा में घुली है खुशबू बुरांश की, घाटियाँ गाती हैं गीत,
हरी-भरी ये वादियाँ सुनाती, देवभूमि की अनोखी प्रीत।
यहाँ सूरज उगता शिखरों से, छूता है नभ के रंग,
नदियाँ कलकल बहती जाएँ, जैसे मधुर कोई संग।
चार धाम के पावन पथ पर, हर कण में बसी भक्ति,
गंगोत्री-यमुनोत्री के जल से, मिटती हर एक अशक्ति।
यहाँ के लोग सरल हैं इतने, दिल में बसाए प्यार,
मेहमान नवाजी में मिलते हैं, देवताओं के संस्कार।
आओ एक बार तुम भी देखो, मेरा उत्तराखंड महान,
जहाँ प्रकृति मुस्कुराती हरदम, और देवता करते हैं ध्यान। कपिल मल्होत्रा
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