अल्मोड़ा के प्रसिद्ध मृग विहार के पास देचिंग ग्राउंड की समस्या: प्रशासन की उदासीनता
अल्मोड़ा के विश्व विख्यात पर्यटक स्थल मृग विहार के पास स्थित देचिंग ग्राउंड को स्थानांतरित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। पैलाग फाउंडेशन अल्मोड़ा और स्थानीय लोगों ने इस गंभीर समस्या के समाधान हेतु कई बार जिला प्रशासन, नगर निगम, वन विभाग और पर्यटन विभाग को ज्ञापन सौंपे, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता निराशाजनक बनी हुई है।

ज्ञापनों और अनुरोधों की अनदेखी
स्थानीय निवासियों और संगठनों द्वारा प्रशासन को कई बार ज्ञापन प्रस्तुत किए गए, जिनमें:
• 25 अक्टूबर 2023 को नगर पालिका अल्मोड़ा को ज्ञापन दिया गया था, जिसमें दस माह बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
• 1 जुलाई 2024 को भी प्रशासन को पत्र सौंपा गया, जिसमें कहा गया कि नगर पालिका द्वारा बल्ढौटी स्थित वन भूमि में अपशिष्ट निस्तारण किया जा रहा है, लेकिन समस्या का पूर्ण समाधान नहीं हो पाया है।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रभाव
1. स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को असुविधा: देचिंग ग्राउंड से उठने वाली तीव्र दुर्गंध के कारण पर्यटक और स्थानीय निवासी अत्यधिक प्रभावित हो रहे हैं। यह मार्ग विश्व प्रसिद्ध चितई गोलू देवता मंदिर और जागेश्वर धाम जाने का प्रमुख मार्ग है। बदबू के कारण पर्यटकों की संख्या में गिरावट आ रही है, जिससे अल्मोड़ा की छवि धूमिल हो रही है।
2. वन्यजीवों और स्थानीय पशुओं को नुकसान: आस-पास के जानवर इस स्थान से कूड़ा खाकर बीमार हो रहे हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
3. शहरवासियों की परेशानी: प्रातः भ्रमण करने वाले नागरिकों ने इस मार्ग पर जाना बंद कर दिया है, क्योंकि वातावरण अत्यधिक दूषित हो गया है।
4. जल स्रोतों का प्रदूषण: बरसात के मौसम में कूड़े का गंदा पानी नीचे के जल स्रोतों में मिलकर स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है।

नगर निगम और प्रशासन की जवाबदेही
1. नगर निगम की लापरवाही: नगर निगम को इस समस्या के समाधान हेतु उचित कदम उठाने चाहिए थे, लेकिन अब तक कोई प्रभावी नीति नहीं बनाई गई है। अपशिष्ट निस्तारण हेतु वैज्ञानिक समाधान अपनाने के बजाय इसे अनदेखा किया जा रहा है।
2. प्रशासन की निष्क्रियता: जिला प्रशासन को वैकल्पिक स्थल की पहचान कर वहां उचित अपशिष्ट निस्तारण व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए थी। लेकिन आज भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया है।
3. जनता की अनदेखी: स्थानीय नागरिकों और पर्यावरणविदों द्वारा कई बार अपील किए जाने के बावजूद, प्रशासन और नगर निगम ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। यह जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी की अनदेखी को दर्शाता है।
4. विकल्प की कमी का बहाना: प्रशासन और नगर निगम अक्सर यह तर्क देते हैं कि वैकल्पिक भूमि उपलब्ध नहीं है, जबकि वास्तविकता यह है कि यदि वे ठोस प्रयास करें तो इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
संभावित समाधान एवं सुझाव
1. देचिंग ग्राउंड का स्थानांतरण: प्रशासन को तत्काल एक वैकल्पिक स्थल की पहचान कर देचिंग ग्राउंड को वहां स्थानांतरित करना चाहिए।
2. नियमित अपशिष्ट प्रबंधन: कूड़ा-करकट के ढेर को वैज्ञानिक तरीकों से उपचारित और निस्तारित किया जाना चाहिए।
3. प्रभावित समुदायों के साथ समन्वय: प्रशासन, वन विभाग और नगर पालिका को स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर समाधान निकालना चाहिए।
4. टीम का गठन: अपशिष्ट निस्तारण हेतु एक विशेष टीम बनाई जाए, जिसमें एक प्रतिनिधि स्थानीय संगठनों से भी शामिल हो।
प्रशासन की उदासीनता पर सवाल
अल्मोड़ा की जनता लगातार इस समस्या से जूझ रही है, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता चिंताजनक है। जब वीआईपी और अधिकारी इसी मार्ग से गुजरते हैं, तो वे समस्या से अनजान नहीं हो सकते। क्या बड़ी गाड़ियों के शीशे बंद करने से उनकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है?
यदि प्रशासन शीघ्र कदम नहीं उठाता, तो नागरिकों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का रुख करना पड़ेगा ताकि इस पर्यावरणीय समस्या का समाधान कानूनी मार्ग से किया जा सके।
अल्मोड़ा, जो अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, आज कूड़ा निस्तारण की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। यह आवश्यक है कि प्रशासन तत्काल कार्यवाही करे, ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके और स्थानीय नागरिकों को इस समस्या से राहत मिले।
इस विषय पर पहले भी कई बार ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं:
• 04/09/2023 – जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित।
• 01/07/2024 – जिलाधिकारी को दोबारा अनुरोध पत्र।
• 05/07/2024 – नगर पालिका परिषद, अल्मोड़ा को ज्ञापन।
• 08/07/2024 – नगर निगम को ज्ञापन।
इस विषय में पूछे जाने पर नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त भारत त्रिपाठी का कहना है की दस पन्द्रह दिन के अंदर वह पर कार्य किया जायेगा

सहायक नगर आयुक्त भारत त्रिपाठी