सरकार के द्वारा कर्मचारियों के वेतन को काटने के मुद्दे पर पूर्व राज्य मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए अपना बयान जारी किया है कर्नाटक ने कहा कि कोविड-19 (कोरोना संक्रमण ) के इस दौर में जिस प्रकार से राज्य के कर्मचारियों ने समाज में लगातार नागरिकों को सहायता पहुंचाने एवं सरकार/प्रशासन को अपना अभूतपूर्व सहयोग प्रदान किया एवं अपने जीवन को संकट में डाल कर निस्वार्थ भाव से सेवा/मदद की, कर्मचारियों के इस अभूतपूर्व कार्य को देखकर जहां राज्य सरकार ने कर्मचारियों को कोरोना काल में विशेष आर्थिक पैकेज देना चाहिए था वही सरकार ने उन्हें मिल रहे वेतन भत्ते एवं उच्चीकृत वेतनमान आदि अन्य सुविधाओं को न देने का एवं कर्मचारियों के 1 दिन का वेतन काटने का जो कर्मचारी विरोधी फैसला लिया है हम सब उस फैसले के विरोध में राज्य सरकार से इस बात का निवेदन करते हैं कि जहां राज्य के कार्मिक/ अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, शिक्षा विभाग के कर्मचारी, नर्सिंग स्टाफ एवं डॉक्टर, पुलिसकर्मी, इन सब को एवं राज्य के समस्त कर्मचारियों को प्रोत्साहन भत्ता दिया जाना आवश्यक था, वही सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला न्याय संगत तर्कसंगत नहीं है। हम पुनः सरकार से निवेदन करते हैं कि आप द्वारा जो तुगलकी फरमान/ हिटलर शाही में लिया गया यह फैसला तत्काल आप निरस्त करें, और इस राज्य के समस्त कर्मचारियों को कोरोना काल में उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्य के लिए विशेष कोरोना पैकेज प्रदान करें। बहुत बड़ी सहायता केंद्र द्वारा राज्यों को दी जा रही है और आप अन्य सरकारी मदों को कम करने, माननीयों के वेतन भत्ते आदि में कटौती करने, अन्य जो वाहियात खर्च सरकारों के द्वारा किया जाता है उन पर नियंत्रण करने का कार्य करें। कर्मचारियों का उत्पीड़न कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, यदि इस प्रकार की कोई कार्यवाही सरकार द्वारा की जाती है तो हमें कर्मचारी हित में संघर्ष के लिए सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जहां आज हम सब केवल सेवा भाव से अपने क्षेत्र की जनता की सेवा में लगे हैं, वही दूसरी ओर कर्मचारियों के चेहरे का दर्द भी हम सबके सामने है, इसलिए हम राज्य सरकार से इस बात का निवेदन करते हैं कि सरकार इस तुगलकी फरमान को तत्काल निरस्त पकरते हुए कर्मचारियों को प्रोत्साहन भत्ता भी इस कोरोना काल में मिलना चाहिए। जिससे कर्मचारी और मेहनत के साथ कार्य कर सकें ।