‘वनग्निवीर’ दीपक वार्ष्णेय द्वारा राहत कार्य, जनजागरूकता अभियान की तैयारी
बिनसर (उत्तराखंड)। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रतिवर्ष भयंकर वनाग्नि (जंगल की आग) का तांडव देखने को मिलता है, जिससे न केवल राज्य की बहुमूल्य वन संपदा को अपूरणीय क्षति पहुंचती है, बल्कि हजारों ग्रामीणों का जीवन, आजीविका और पारिस्थितिक संतुलन भी प्रभावित होता है। इस गंभीर संकट के समाधान और पीड़ितों की सहायता के लिए नीलदीप फाउंडेशन द्वारा एक सार्थक और मानवीय पहल की गई है।
नोएडा स्थित इस सामाजिक संस्था के संस्थापक और ‘वनग्निवीर’ के नाम से प्रसिद्ध दीपक वार्ष्णेय एवं उनकी पत्नी नीलम वार्ष्णेय ने 26 व 27 मई 2025 को बिनसर व आसपास के क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने बिनसर और घनेली गांवों के उन परिवारों से व्यक्तिगत रूप से भेंट की जो हाल ही में वनाग्नि से बुरी तरह प्रभावित हुए थे। इस दौरान उन्होंने पीड़ितों के दुःख-दर्द को साझा किया और सहायता स्वरूप पाँच परिवारों को ₹25,000/- के चेक प्रदान किए।
यह वित्तीय सहायता उन ग्रामीणों के लिए एक राहत की किरण बनकर आई है, जिन्होंने वनाग्नि में अपने आशियाने, सामान और मवेशियों को खो दिया। श्रीमती नीलम वार्ष्णेय ने स्वयं चेक वितरण कर पीड़ितों को ढाढ़स बंधाया और भविष्य में और अधिक सहयोग का आश्वासन दिया।
दीपक वार्ष्णेय लंबे समय से उत्तराखंड और अन्य राज्यों में वनाग्नि की रोकथाम को लेकर सक्रिय प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने ‘पेरुल’ यानी चीड़ की सूखी पत्तियों को ईंधन पैलेट में बदलने की एक अनूठी और पर्यावरण अनुकूल तकनीक विकसित की है। यह तकनीक जहां जंगलों में आग लगने के एक बड़े कारण को समाप्त करने में सहायक होगी, वहीं यह ग्रामीणों को वैकल्पिक और सस्ता ईंधन उपलब्ध कराकर आजीविका का साधन भी बन सकती है।
वार्ष्णेय ने बताया कि उनका यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को समर्पित है, जिनकी प्रेरणा से वह प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिए कार्यरत हैं।
नीलदीप फाउंडेशन अब केवल राहत कार्यों तक सीमित नहीं रहकर एक व्यापक जनजागरूकता अभियान शुरू करने जा रही है। यह अभियान जून 2025 के मध्य में दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के अंतर्गत ग्रामीण समुदायों को वनाग्नि से बचाव की वैज्ञानिक विधियों, स्थानीय प्रशिक्षण, विद्यालयों में पर्यावरण शिक्षा, और तकनीकी नवाचारों से जोड़ने की योजना है।
उत्तराखंड जैसे प्राकृतिक रूप से संवेदनशील राज्य में नीलदीप फाउंडेशन का यह कदम पर्यावरण सुरक्षा, सामाजिक उत्थान और प्राकृतिक आपदाओं से बचाव की दिशा में एक प्रभावी प्रयास सिद्ध होगा।
इस प्रेरणादायक पहल ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि संगठित प्रयास, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सामाजिक संवेदनशीलता को साथ लेकर चला जाए, तो किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटना संभव है। उत्तराखंडवासियों ने भी इस मानवीय प्रयास की सराहना की है और आशा जताई है कि भविष्य में ऐसे और अभियान देखने को मिलेंगे।