अल्मोड़ा – अल्मोड़ा, जो कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, में एक खास आयोजन हुआ, जो न केवल नगर के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है, बल्कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को भी उजागर करता है। यह आयोजन था “महिला होली”, जो कि मां नंदा सुनंदा महिला संस्था द्वारा नगर निगम पार्किंग स्थल की छत पर बड़े धूमधाम से आयोजित किया गया। इस आयोजन में सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया, और यह न केवल एक रंग-बिरंगा उत्सव था, बल्कि समाज की एकता, साझेदारी और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी बना।
महिला होली का यह आयोजन बहुत खास था क्योंकि इस मौके पर महिलाओं ने पारंपरिक होली गायन और स्वांग प्रस्तुत किए। होली गायन, जो इस पर्व की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, में महिलाओं ने एक स्वर में लोक गीतों के जरिए एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएं दी। इसके अलावा, स्वांग भी महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किए गए, जो परंपराओं के संरक्षण और सांस्कृतिक धारा के प्रति महिलाओं की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह दृश्य न केवल उल्लास से भरा था, बल्कि अल्मोड़ा की सांस्कृतिक विविधता को भी पूरी तरह से प्रदर्शित करता था।
इस आयोजन में सांस्कृतिक विभाग अल्मोड़ा की विहान टोली ने भी अपनी प्रस्तुति दी, जिसने कार्यक्रम में रंगीनता और उत्साह का और इज़ाफा किया। विहान टोली की प्रस्तुतियों में लोक नृत्य, गीत और संगीत ने महिलाओं और दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह कार्यक्रम न केवल एक रंगीला उत्सव था, बल्कि एक सांस्कृतिक संवाद भी था, जिसमें सभी उपस्थित महिलाएं एक साथ जुड़ीं और साझा आनंद का अनुभव किया।
संस्था की अध्यक्ष, किरन पंत ने इस आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि “अल्मोड़ा प्राचीन काल से सांस्कृतिक नगरी रही है और यहां की होली का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस आयोजन में महिलाओं की भागीदारी न केवल हमारी परंपराओं को जीवित रखती है, बल्कि समाज में महिलाओं की भूमिका को भी सशक्त बनाती है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के आयोजनों से समाज में एकता और समृद्धि का संदेश फैलता है, और महिलाओं को अपने सांस्कृतिक अधिकारों और कर्तव्यों को समझने का अवसर मिलता है।
कार्यक्रम में महिला संस्था की पधाधिकारी भी उपस्थित रहीं, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संस्था की पधाधिकारी में रीता पंत, मीना जोशी, पूनम बोरा, अलका नज्जोंन, मोनीका जुनेजा, सीमा बेदी, नित्तू कक्कड़, रीटा कपूर, लीला चौहान, आशा विग, बीना पांडे, वीना जोशी, सीमा गुसाई, बिमला नगरकोटी और अन्य सैकड़ों महिलाएं मौजूद थीं। इस दौरान, महिलाओं ने एक साथ मिलकर न केवल होली के रंगों में रंगे, बल्कि अपने आपसी संबंधों को और प्रगाढ़ किया।
कुल मिलाकर, यह आयोजन केवल एक होली उत्सव नहीं था, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्नवा था, जो महिलाओं की भूमिका और सामूहिक प्रयासों को सम्मानित करता है। अल्मोड़ा की सांस्कृतिक नगरी में इस तरह के आयोजन न केवल शहर की सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज में सामूहिकता और साझेदारी की भावना को भी मजबूत करते हैं।