अल्मोड़ा/ धारानौला टैक्सी स्टेंड के टैक्सी मालिक और चालक अपने अधिकारों और समस्याओं के समाधान के लिए एकत्रित हुए। उन्होंने टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों के नेतृत्व में माल रोड स्थित थपलिया कार्यालय में एक सभा आयोजित की। इस सभा में सैकड़ों वाहनों के मालिक और चालक शामिल हुए और न्याय के देवता गोल्जू दरबार में अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे।
प्रशासन की उपेक्षा और समस्या की गंभीरता
टैक्सी मालिक-चालकों ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे सरकार और प्रशासन की उपेक्षा से आहत हैं। उन्होंने एक स्वर में बताया कि लगभग 100-150 निजी वाहन व्यवसायिक रूप से कार्य कर रहे हैं, विशेष रूप से शहर से दूर विभिन्न विद्यालयों में पढ़ा रहे अध्यापक और अध्यापिकाएं। ये निजी वाहन चालक किराया लेकर अध्यापकों को विद्यालयों तक ले जा रहे हैं, जिससे स्थानीय टैक्सी व्यवसाय पर गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो रहा है।
रोजी-रोटी का संकट
टैक्सी मालिक-चालकों का कहना है कि इस स्थिति के कारण कई टैक्सी मालिकों के सामने रोजी-रोटी का संकट आन पड़ा है। उन्होंने प्रशासन को पूर्व में कई बार लिखित और मौखिक रूप से सूचित किया है, लेकिन इस विषय में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई। इसके कारण, वे न्याय के देवता गोल्जू दरबार में अपनी व्यथा लेकर पहुंचे हैं।
गोल्जू दरबार में हाजरी
गोल्जू दरबार में हाजरी लगाने का यह निर्णय टैक्सी मालिक-चालकों ने सामूहिक रूप से लिया। टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष शैलेन्द्र तिलारा (शेलू) ने बताया कि पूर्व में शासन द्वारा एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि अध्यापक और अध्यापिकाएं अपने कार्यस्थल के नजदीक आठ किलोमीटर के दायरे में रहेंगे।
हालांकि, वास्तविकता यह है कि अधिकांश अध्यापक और अध्यापिकाएं 60 से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर विद्यालयों में पहुंच रहे हैं। यह न केवल टैक्सी व्यवसाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इससे छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
आर्थिक संकट की चर्चा
अध्यापकों को सरकार द्वारा मानदेय दिया जाता है, लेकिन वे निजी वाहनों से टैक्सी का कार्य कर मोटी रकम कमा रहे हैं। इस स्थिति का सीधा प्रभाव स्थानीय टैक्सी व्यवसाय पर पड़ रहा है। टैक्सी मालिक-चालकों ने इस बात को स्पष्ट किया कि अब इस विषय में गोल्जू देवता ही न्याय कर सकते हैं।
नेताओं की भूमिका
गोल्जू दरबार में अर्जी लगाने के लिए टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष शैलेन्द्र तिलारा (शेलू), महासचिव नीरज पवार, उपाध्यक्ष गणेश सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष भार गोपाल सिंह रावत, सचिव अर्जुन सिंह मुस्यूनी, उपसचिव आनंद सिंह भोज, कोषाध्यक्ष बालकिसन जोशी, और मुख्य संरक्षक अनूप साह जैसे पदाधिकारी मौजूद थे। सभी ने एकजुट होकर अपनी समस्याओं को उठाया और प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग की।
संघर्ष का महत्व
यह आयोजन इस बात का प्रतीक है कि टैक्सी मालिक-चालक एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा के लिए तैयार हैं। उनका यह संघर्ष न केवल उनके अपने व्यवसाय के लिए है, बल्कि यह सभी उन लोगों के लिए भी है जो टैक्सी सेवा पर निर्भर हैं। उन्होंने प्रशासन से यह स्पष्ट किया कि उनकी समस्याओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
आगे की रणनीति
टैक्सी यूनियन के नेताओं ने तय किया है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे और आने वाले दिनों में प्रशासन को फिर से ज्ञापन देंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रशासन उनकी समस्याओं को समझेगा और उचित कदम उठाएगा।
निष्कर्ष
टैक्सी मालिक-चालकों की यह एकजुटता न केवल उनकी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाने का कार्य कर रही है, बल्कि यह सामाजिक न्याय की एक मिसाल भी पेश कर रही है। गोल्जू देवता की शरण में जाकर उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि जब तक वे एकजुट रहेंगे, तब तक वे अपने हकों के लिए संघर्ष करते रहेंगे। उन्हें अपने व्यवसाय को बचाने के लिए प्रशासन और सरकार से उचित सहयोग की आवश्यकता है।
इस आंदोलन की सफलता से यह स्पष्ट होगा कि समाज के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण वर्गों की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उनके संघर्ष से यह संदेश भी जाता है कि स्थानीय प्रशासन और सरकार को अपने नागरिकों की समस्याओं का समाधान करने में तत्पर रहना चाहिए।
आखिरकार, टैक्सी मालिक-चालकों की यह आवाज एक बड़ी सच्चाई को उजागर करती है: न्याय की तलाश में वे केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के हर तबके के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी समस्याएं केवल आर्थिक नहीं हैं, बल्कि यह उनके सम्मान और आजीविका से भी जुड़ी हुई हैं। अब यह देखना है कि क्या प्रशासन और सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेंगे और उन्हें न्याय मिलेगा।