अल्मोड़ा। मानवता की मिसाल पेश करते हुए रेडक्रॉस सोसायटी ने हाल ही में लमगड़ा विकासखंड के डोल गांव में अग्निकांड से प्रभावित परिवार की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। समिति के पदाधिकारियों ने स्वयं गांव पहुंचकर पीड़ित परिवार को राहत सामग्री वितरित की। इस दौरान पीड़िता नीमा देवी, उनकी सास आनंदी देवी और पुत्र हर्षित को एक माह के लिए आवश्यक राशन सामग्री, चार कंबल, दो किचन सेट और एक तिरपाल प्रदान किया गया। समिति की इस त्वरित पहल की गांववासियों ने मुक्त कंठ से सराहना की।
उल्लेखनीय है कि 13 मई की रात को ग्राम डोल में नीमा देवी के मकान में अचानक आग लग गई थी। आग इतनी भीषण थी कि देखते ही देखते पूरा मकान उसकी चपेट में आ गया। उस समय मकान में नीमा देवी, उनकी सास और बेटा हर्षित गहरी नींद में सो रहे थे, जबकि बेटी दिव्या घर पर नहीं थी। नीमा देवी ने साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए न केवल अपने परिवार को सुरक्षित बाहर निकाला, बल्कि घर में बंधे मवेशियों को भी आग से बचा लिया। हालांकि, आग बुझाने से पहले ही पास रखा सिलेंडर ब्लास्ट हो गया, जिससे मकान की छत और दीवारें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। इस हादसे ने परिवार को आर्थिक और मानसिक दोनों ही स्तरों पर गहरा आघात पहुंचाया।
इस कठिन समय में रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा दी गई मदद पीड़ित परिवार के लिए संबल बनी है। समिति ने यह स्पष्ट किया कि भविष्य में भी इस प्रकार की आपदाओं में जरूरतमंदों की मदद के लिए वे तत्पर रहेंगे।
इसी के साथ, रेडक्रॉस सोसायटी ने मानवीय सेवा की एक और मिसाल पेश की। नगर के ढुंगाधारा निवासी 72 वर्षीय पान सिंह, जिन्हें कुछ दिनों पूर्व सोसायटी के पदाधिकारियों द्वारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था, का हाल ही में निधन हो गया। उनकी कोई देखरेख करने वाला परिजन नहीं था। ऐसे में रेडक्रॉस सोसायटी ने आगे आकर उनका अंतिम संस्कार स्थानीय विश्वनाथ घाट पर करवाया। यह कार्य निःस्वार्थ सेवा का सजीव उदाहरण बना और स्थानीय लोगों के बीच रेडक्रॉस के प्रति सम्मान और भी बढ़ गया।
इन दोनों घटनाओं के दौरान समिति के चेयरमैन आशीष वर्मा के नेतृत्व में मनोज सनवाल, शंकर दत्त भट्ट, विनीत बिष्ट, मनोज भंडारी, अमित साह मोनू, अर्जुन बिष्ट, अभिषेक जोशी, कृष्ण बहादुर और गोविंद मटेला जैसे सक्रिय कार्यकर्ता मौजूद रहे।
समिति द्वारा किए गए कार्यों की स्थानीय जनता ने भूरी-भूरी प्रशंसा की है और उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी इस प्रकार की सामाजिक सेवाएं इसी उत्साह और संवेदनशीलता के साथ जारी रहेंगी। रेडक्रॉस की यह पहल वास्तव में “सेवा ही धर्म” के भाव को चरितार्थ करती है।