Almora – भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग, अल्मोड़ा में ‘ हिन्दी की सांस्कृतिक परिधि और तकनीकी शब्दावली विषय पर कार्यशाला का आयोजन 30 सितम्बर, 2024 को किया गया। कार्याशाला का शुभआरम्भ परिषद गीत से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि/मुख्य वक्ता के रूप में डा दीपा गुप्ता, प्रवक्ता, (हिन्दी), एडम्स गर्ल्स इण्टर कालेज अल्मोड़ा रहीं।
सर्वप्रथम भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रभागाध्यक्ष, डॉ. निर्मल कुमार हेडाऊ ने सभी सहभागिओं का स्वागत किया। संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त ने अपने उदबोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सभी भाषाओं को अपने में समाहित कर लेती है। उन्होंने कहा कि हमारी राजभाषा हिंदी का प्रसार बहुत हो गया है और इसमें राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के सभी कार्यालयों व कार्मिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। मातृभाषा बोलने में हमें संकोच नहीं अपितु गर्व करना चाहिए। उन्होंने सभी श्रोताओं को संस्थान में हो रही हिंदी की प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि यह संस्थान हिंदी की प्रगति हेतु सदैव प्रयासरत है। संस्थान के विभिन्न प्रकाशन हिंदी में निकलते है। इसके अलावा विभिन्न प्रशिक्षण सामग्री भी हिंदी में प्रकाशित होती हैं और प्रशिक्षण भी अधिकतर हिंदी में ही दिए जाते हैं। यह हमारे लिए प्रशंसा का विषय है कि विगत वर्ष संसदीय राजभाषा की दूसरी उप समिति के निरिक्षण के दौरान यह संस्थान सभी मानकों पर सफल रहा।
हिन्दी भाषा कई पुलों को पार करते हुए अपनी सीमाओं को बढ़ा रही है
मुख्य वक्ता डा. दीपा गुप्ता ने हिन्दी की सांस्कृतिक परिधि और तकनीकी शब्दावली पर व्याख्यान देते हुवे हिन्दी के राजभाषा के सम्मान पाने के उद्भव, शब्द भण्डार, भाषा की सहायक लिपि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा कई पुलों को पार करते हुए अपनी सीमाओं को बढ़ा रही है। आज उत्तर भारत ही नहीं, अपितु भारत के दक्षिण भाग में भी लोग बहुत अच्छी हिंदी बोलते हैं। आज हिंदी साठ करोड़ लोगों की प्रथम भाषा है। हिंदी के बढ़ते महत्व को देखते हुए आज मल्टीनेशनल कंपनी के कार्मिक भी हिंदी सीख रहे हैं जो हमारे लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा तकनीकी एवं वैज्ञानिक शब्दावली हिंदी में बनायी गयी है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसमे हम स्वाभाविक रूप से अन्य भाषाओं के शब्द भी ले सकते हैं। हिंदी सीखने से संस्कार आते हैं और संस्कार हमें अपनी जड़ों से जुड़ने में सहायक होते हैं। हिंदी आज दोयम दर्जे की भाषा न होकर अपनी परिधि में उत्तरोत्तर वृद्धि कर रही है। उन्होंने हिन्दी को बढ़ावा देने के उपाय भी बताये।
कार्यशाला में भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के फसल सुरक्षा प्रभाग के प्रभागाध्यक्ष डा. कृष्ण कान्त मिश्रा, फसल उत्पादन के प्रभागाध्यक्ष डा. बी.एम.पाण्डे, सामाजिक विज्ञान की अनुभागाध्यक्ष डॉ. कुशाग्रा जोशी, समस्त वैज्ञानिक, अधिकारी, तकनीकी, प्रशासनिक व सहायक वर्ग के कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यशाला का सफल संचालन भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा की मुख्य तकनीकी अधिकारी एवं प्रभारी राजभाषा अधिकारी श्रीमती रेनू सनवाल तथा धन्यवाद प्रस्ताव वैज्ञानिक डा. प्रियंका खाती द्वारा दिया गया।