एडवोकेट चांदनी खान ने अपनी शिकायत में जनता की परेशानियों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि नारायण तिवारी देवाल, अल्मोड़ा के शिव मंदिर के सामने स्थित एक गली में पेयजल के पाइप खुले में बिछाए गए हैं। इन खुले पाइपों के कारण लोगों को आने-जाने में दिक्कत हो रही है, साथ ही यह पाइप गंदे पानी से प्रभावित हो रहे हैं, जिससे पेयजल दूषित हो रहा है। इस समस्या को देखते हुए खान ने अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की थी, लेकिन पहले शिकायत पर लापरवाही दिखाई गई। फिर पुनः शिकायत करने पर संबंधित अधिकारियों ने कारवाही शुरू की।

खान ने अपनी शिकायत में बताया कि इस गली में स्थित पाइपों का खुला होना, जिससे नालियों का पानी और बरसात का पानी इन पाइपों में घुसता है, यह एक गंभीर समस्या है। पाइपों के खुले होने के कारण पेयजल प्रदूषित हो रहा है, जो जनता के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यह कार्य नियमों के खिलाफ भी है। उन्होंने उल्लेख किया कि उत्तराखंड शासन के गजट नोटिफिकेशन संख्या 1265/उन्तीस (1) / 2010- (03 अधि०) / 11-in द्वारा निर्धारित THE UTTARAKHAND JAL SANSTHAN WATER SUPPLY & SEWERAGE BYELAWS, 2008 के नियम 04 के तहत खुले में पाइपों का बिछाना मना है, क्योंकि इससे पेयजल दूषित होने का खतरा बढ़ता है। इस प्रकार की व्यवस्था से न केवल जल की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
चांदनी खान ने यह भी कहा कि खुले पाइपों के माध्यम से गंदा पानी और बरसात का पानी पाइपों में घुस जाता है, जिससे जल आपूर्ति प्रणाली में गंभीर खामियां उत्पन्न होती हैं। यह न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक है, बल्कि इससे जल का उचित उपयोग भी प्रभावित होता है। खान ने अधिकारियों से यह भी आग्रह किया कि पाइपलाइन को जल्द से जल्द नियमों के अनुसार भूमिगत किया जाए, ताकि जल प्रदूषण से बचा जा सके और लोगों को स्वच्छ जल मिल सके। उनका सुझाव था कि इस कार्य को भूमिगत ब्रांच लाइन बनाकर किया जाए, ताकि छोटी भूमिगत पाइपों से कनेक्शन प्रदान किया जा सके, जिससे जल दूषित होने से बच जाएगा और पानी की गुणवत्ता बनी रहेगी।
इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की समस्या केवल स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र में हो सकती है, और ऐसी लापरवाहियां सरकार के जल वितरण प्रणाली की साख को कमजोर कर सकती हैं। अगर इस मुद्दे पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या बड़े पैमाने पर लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है और सरकार की जल आपूर्ति सेवाओं पर सवाल उठ सकते हैं।
खान के इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि नागरिकों की समस्याओं को लेकर अगर कोई अधिकारी या सरकारी विभाग लापरवाही बरते, तो जनता को उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए, ताकि उन समस्याओं का समाधान किया जा सके। इस मामले में अधिकारियों ने शिकायत के बाद कार्रवाई शुरू की है, जो यह दिखाता है कि जनता की आवाज और शिकायतें महत्वपूर्ण हैं, और उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।