हर साल की तरह, इस बार भी अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक गहराई भी इसे विशेष बनाती है। खासकर, रावण परिवार के विशाल पुतले, जो इस महोत्सव का मुख्य आकर्षण होते हैं, उन्हें तैयार करने की प्रक्रिया और उनका जलाना इस उत्सव का अभिन्न हिस्सा है।
इस वर्ष रावण परिवार के 18 विशाल पुतलों का भव्य जुलूस निकाला गया, जिसमें रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद और अन्य राक्षसों के पुतले शामिल हैं। ये पुतले कागज, गत्ता और एल्युमिनियम जैसी पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों से स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाए जाते हैं। यह न केवल पर्यावरण के प्रति सजगता का प्रतीक है, बल्कि कारीगरी का एक अद्वितीय उदाहरण भी है।
पुतला निर्माण की प्रक्रिया
अल्मोड़ा के पुतला निर्माण में कई चरण शामिल होते हैं। पहले चरण में कलाकार पुतले के आकार और डिजाइन का चयन करते हैं। उसके बाद, कागज और गत्ते की परतें चढ़ाई जाती हैं, जो पुतले को मजबूती और सुंदरता देती हैं। इसके बाद, रंग-बिरंगे रंगों का प्रयोग करके पुतले को सजाया जाता है। यह सभी काम महीनों पहले से शुरू होते हैं, ताकि उत्सव के दिन पुतले तैयार हों।
भव्य जुलूस और आतिशबाजी
दशहरा महोत्सव का मुख्य आकर्षण है इसका भव्य जुलूस। ढोल-नगाड़ों की धुन पर सजे-धजे पुतले नगर की सड़कों से होते हुए स्टेडियम की ओर बढ़ते हैं। इस जुलूस में स्थानीय लोग और पर्यटक भी शामिल होते हैं। जुलूस के दौरान, छोलिया नर्तक दल अपने पारंपरिक नृत्य से माहौल को और भी जीवंत बना देते हैं। यह नृत्य महोत्सव की रौनक को बढ़ाने के साथ-साथ कुमाऊं की सांस्कृतिक धरोहर को भी दर्शाता है।
पुतलों का दहन
जुलूस के अंत में, जुलोजी के ग्राउंड में पुतलों का दहन किया जाता है। यह दृश्य अत्यंत भव्य होता है, जब आग के शोले आसमान में उठते हैं। पुतले जलने के साथ ही, वहां मौजूद लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हैं। यह दृश्य न केवल धार्मिक भावनाओं का प्रतीक है, बल्कि विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश भी देता है।
पर्यटकों की भीड़
इस साल, दशहरा महोत्सव को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटकों की भारी भीड़ जुटी है। लोग स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और रंगीनता का अनुभव करने के लिए उत्सुक रहते हैं। यह महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जो हर व्यक्ति को एकजुट करता है।
समापन
अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव वास्तव में अद्वितीय है। इसकी विशेषता केवल पुतले निर्माण और दहन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण सांस्कृतिक अनुभव है। यह उत्सव न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक यादगार अनुभव बनता है। अल्मोड़ा के दशहरा महोत्सव की विशेषता, परंपरा, और इसकी भव्यता इसे भारत के अन्य उत्सवों से अलग बनाती है, और यही कारण है कि यह हर साल और भी बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
इस महोत्सव की गूंज हर साल पूरे भारत में सुनाई देती है, और यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अमूल्य हिस्सा है। अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव, न केवल त्योहार है, बल्कि यह हमारी पहचान और हमारी परंपराओं का प्रतीक भी है।