देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की जगजाहिर हो चुकी अव्यवस्थाएं अब प्राणघातक होकर सारी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही हैं लेकिन सरकार और उसके मंत्री विदेशों में सैरसपाटे या कोरी बयानबाजी कर व्यवस्थाओं के सुधार की आशा कर रहे हैं।

भाजपा के प्रवक्ता सनातनधर्म की इस प्रसिद्ध यात्रा में हो रही मौतों को “श्रद्धालुओं द्वारा मोक्ष प्राप्ति” का प्रयास बता कर बिना इलाज के हो रही मार्मिक और दर्दनाक मौतों पर उपहास किया जा रहा है।

चारधाम यात्रा का उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में लगभग 1200 करोड़ रुपये का योगदान है यदि समय रहते सरकार नही चेती तो सनातन धर्मावलंबियों के बीच जा रही चारधाम यात्रा की अव्यवस्थाओं की खबरों से न केवल उत्तराखंड की छबि खराब होगी, बल्कि आने वाले सालों में यात्रा पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा जिसका असर सीधा राज्य की अर्थव्यवस्था पर और इन जिलों के निवासियों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा।

अव्यवस्थाओं के साथ 3 मई से शुरू हुई इस यात्रा को अभी दो सप्ताह भी नहीं बीते, लेकिन 14 दिन के कम समय में 39 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई है । यदि इन आकंड़ों की तुलना वैष्णो देवी यात्रा सहित दुनिया के ऊंचाई वाले इलाकों में होने वाली धार्मिक यात्राओं से करें तो इस साल चारधाम यात्रा में अभी तक हुई मौतों की संख्या अन्य यात्राओं से कई गुनी अधिक है। हर दिन चारधाम यात्रा में बड़ती मौत के आंकड़े दुनियाभर में सनातन धर्म के लिए शर्मिंदगी का कारण बन रहे हैं।

भाजपा सरकार की लचर व्यवस्थाओं से चारधाम यात्रा पर पूरी तरह पानी फिर गया है। सरकारी कुप्रबंधन ने हिंदुओं की आस्था पर गहरी चोट पहुंचाई है। यात्रियों को बिना दर्शन करे ही लौटने को मजबूर होना पड़ रहा है और अनियंत्रित भीड़ , बिभिन्न मार्गों पर लगाने वाले घंटों के जाम से समय पर निर्धारित स्थानों पर नही पंहुचने के कारण एक ओर यात्रियों द्वारा बुक कराए होटल खाली हैं और दूसरी ओर हजारों श्रद्धालु बारिश में बाहर रहने को मजबूर हैं।