अल्मोड़ा – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के उपलक्ष में आज आयोजित सेमिनार में राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति साह मिश्रा ने कहा कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ महिलाएं पहाड़ में नई श्वेत क्रांति ला सकती है। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं है। सरकार लगातार काश्तकारों को प्रोत्साहित कर रही है। अगर महिलाएं ठान ले तो वह आत्मनिर्भर तो होंगी ही वहीं पहाड़ से हो रहा पलायन भी रुकेगा।
   विकास भवन सभागार में उत्तराखंड महिला डेरी विकास विभाग के माध्यम से महिला दुग्ध उत्पादकों का सेमिनार हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति साह मिश्रा ने अमूल का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह गुजरात के काश्तकारों ने वहां श्वेत क्रांति की, उसी प्रकार पहाड़ में भी यह हो सकता है। दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में कई महिलाओं ने यह करके भी दिखाया है। इसे वृहद स्तर पर किया जा सकता है। दुग्ध सहकारी समितियों को प्रोत्साहित किया जाए। जिससे उनका उत्पादन को बढ़ाया जा सके। दुग्ध से जुड़े उत्पादों को बनाया जाए। उन्होंने कहा कि बाल मिठाई जिसे एक जिला एक उत्पाद में शामिल किया गया है और इसको जीआइ टैग भी मिला है, बाल मिठाई को आज राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। इसके अलावा अन्य उत्पाद भी हैं। उपाध्यक्ष साह ने कहा कि इसके लिए पूर्ण समर्पण से कार्य करने की आवश्यकता है। सरकार इस क्षेत्र में हरसंभव मदद कर रही है।
  माैके पर दुग्ध उत्पादन में बेहतरीन कार्य करने वाली महिलाओं दीपा साह को 10 हजार, कमला देवी को सात हजार, देवकी देवी को पांच हजार का क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार मिला। सेमिनार में दुग्ध उत्पादकों ने इस क्षेत्र में आ रही दिक्कतों व किए जा रहे कार्यों को भी विस्तार से बताया।
मुख्य विकास अधिकारी अंशुल सिंह  ने सभी महिलाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की। इस दौरान मुख्य पशुचिकित्साधिकारी डॉ उदयशंकर ने पशुओं से जुड़ी विभिन जानकारियां दी।
एपीडी चंदा फर्त्याल, जीएम डेयरी राजेश मेहता, सहायक प्रबंधक महिला डेरी गीता राठौर, डा. निवेदिता जोशी, आराधना त्रिपाठी, ज्योति प्रताप, पुष्पा नेगी सहित महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों की महिलाएं मौजूद थे।