पाश्चात्य देशों की जिन साफ सफ़ाई की तारीफें करते हम नहीं थकते क्या हमने कभी सोचा है कि इसके पीछे जनता का भी पूरा सहयोग होना कितना ज़रूरी है। क्यों हम अपने शहर को साफ रखने में सहयोग नहीं देते हैं। अल्मोड़ा बाजार बंद होते ही कूड़े में क्यों तब्दील हो जाता है। दुकानों में रखे कूड़े को दुकानों के बाहर फेंकना किस हद तक सही है?

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