सात दिवसीय ओरिएंटेशन कोर्स का कुलपति एवं एससीईआरटी की निदेशक ने किया शुभारंभ

अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विवि के कुलपति प्रो एनएस भंडारी ने कहा कि रिसर्च का मतलब होता है दोबारा नई चीज खोजना। वर्तमान समय में एकेडमिक रिसर्च एवं नीड बेस्ड रिसर्च प्रमुख रूप से किए जाते है। नीड बेस्ड रिसर्च से ही समाजोपयोगी, स्वास्थ्य, व्यवहारिक एवं विकासोन्मुखी शोध से ही शिक्षा को सही दिशा दी जा सकती है। इसलिए एजुकेशन में नीड बेस्ड रिसर्च को आज प्रोत्साहित करने की नितांत आवश्यकता है।

कुलपति प्रो एनएस भंडारी ने यह बात राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) व इंस्टीट्यूट आॅफ एडवांस स्टेडीज इन एजुकेशन के निर्देशन में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में आयोजित सात दिवसीय आॅनलाईन ओरिएंटेशन कोर्स को संबोधित करते हुए कही। कहा कि यह कोर्स ना केवल जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के प्राध्यापक के लिए उपयोगी होगा बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारी शोध कर रहे प्रशिक्षु शोधार्थी के लिए भी बहुउपयोगी सिद्ध होगा। कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 सभी के लिए चुनौतियों के साथ अवसर लेकर आईं है। हम सभी को नई शिक्षा नीति के प्रयासों को जन जन तक पहॅुचाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।  

वहीं, विशिष्ट अतिथि एससीईआरटी की निदेशक सीमा जौनसारी ने अपने संबोधन में सर्वप्रथम डायट की कार्यप्रणाली, इंफ्रास्ट्रचर एवं चलाए जा रहे अभियान के बारे में विस्तार पूर्वक जानकाारी दी। उन्होने कहा कि एससीईआरटी के माध्यम से समय समय पर डायट प्राध्यापकों के लिए ओरिएंटेशन एवं रिफ्रेशर कोर्स आयोजित कराए जाते है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार आ सकें। इस दौरान उन्होंने बाल सखा, प्रवेशोत्सव, मिशन कोशिश, मिशन फाॅर एक्लेंश इन इग्जामिनेशन अभियानों के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। कहा कि बाल सखा अभियान से विवि स्तर के विद्यार्थी भी जुड़कर रोजगारपरक शिक्षा के अवसरों को प्राप्त कर सकते है। कहा कि एससीईआरटी के पास शिक्षक प्रशिक्षण के लिए फंड की कोई कमी नहीं है। सरकार की ओर से समय समय पर फंड मुहैया कराया जाता है। बस जरुरत है उसे सही दिशा में सही कौशलों के विकास में लगाने की।

एसएसजे विवि संकायाध्यक्ष-विभागाध्यक्ष वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो विजया रानी ढ़ौंडियाल ने कोर्स से जुड़े सभी डायट प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों से रिसर्च के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं के बारे में जानकारी लेने के लिए निरंतर कोर्स से जुड़े रहने का आह्वान किया। पहले दिन वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो एनसी ढौडियाल ने शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग होने वाले आधुनिक माॅडल एवं उपागमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने मात्रात्मक शोध एवं गुणात्मक शोध के विविध पहलुओं पर तीसरे एवं चैथे सत्र में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। अंत में कोर्स समन्वयक डाॅ पंवार ने सभी प्रतिभागियों से कोर्स को लेकर फीडबैक लिया। इस मौके पर डाॅ नीलम कुमारी, डाॅ डीएस बिष्ट समेत राज्य के विभिन्न डायट प्राध्यापक मौजूद रहे।