केवल सती एडवोकेट, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री उत्तराखण्ड सरकार ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन दिया है जिसमे सती ने कहा है कि आपको भी विदित है कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं कुशल प्रशासक पं० नारायण दत्त तिवारी जी जो 4 बार उ0प्र0 के तथा एक बार उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे तथा केन्द्र सरकार में उद्योग, पेट्रोलियम, विदेश, वित्त व वाणिज्य मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री रहे। उनका जन्म 18 अक्टूबर 1925 को ग्राम बल्यूटी (पदमपुरी) जिला नैनीताल, उत्तराखण्ड में हुआ तथा 18 अक्टूबर 2018 को मैक्स अस्पताल दिल्ली में उनकी 93 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गयी। इसलिए उनकी जयंती व पुण्य तिथि दोनों 18 अक्टूबर को हैं । कि पं० नारायण दत्त तिवारी जी को 14 दिसम्बर 1942 को स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान उन्हें ब्रिटिश नितियों के खिलाफ लिखने के लिये गिरफ्तार किया गया और नैनीताल जेल में भेज दिया जहाँ उनके पिता पूर्णानन्द तिवारी जी जो ब्रिटिश काल के दौरान वन विभाग में एक अधिकारी थे उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तिफा देकर गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में बढ़ चढ़कर भागीदारी की और वे भी नैनीताल जेल में बन्द थे, नैनीताल जेल में तिवारी जी तथा उनके पिता एक साथ स्वतंत्रता आन्दोलन में बंद रहे ऐसे बहुत कम उदाहरण है। जिसमें पिता पुत्र स्वाधिनता आन्दोलन में एक साथ जेल गये हों। तिवारी जी को सन् 1944 में जेल में रिहा किया गया वे एक वर्ष तीन माह जेल में रहे।

कि पं० तिवारी जी ने विपरीत परिस्थितियों में प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में प्राप्त करने के बाद हाईस्कूल की शिक्षा बरेली से तथा इण्टर की शिक्षा नैनीताल से प्राप्त की, स्वतंत्रता आन्दोलन एवं तमाम कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए उन्होंने उच्च शिक्षा इलाहबाद विश्व विद्यालय से स्नात्कोत्तर तथा एल०एल०बी० परीक्षा प्रथम श्रेणी से श्रेष्ठता सूची के साथ उत्तीर्ण की तथा वर्ष 1947 में वे इलाहबाद विश्व विद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

 

कि पं० तिवारी जी का राजनैतिक सफर वर्ष 1952 से शुरू हुआ जब वे पहली बार प्रजा समाजवादी पार्टी नैनीताल क्षेत्र से सबसे कम उम्र में उ0प्र0 की विधानसभा में विधायक निर्वाचित हुए। पं० तिवारी जी उ०प्र० जैसे विशाल राज्य के वे 21 जनवरी 1976 को प्रथम बार 03 अगस्त 1984 को दूसरी बार 23 सितम्बर 1985 को तीसरी बार तथा 25 जून 1988 को चौथी बार उन्होंने उ0प्र0 में मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला। कि पं० नारायण दत्त जी ने अपनी जन्म भूमि की सेवा के भाव से 02 मार्च 2002 को उत्तराखण्ड राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला और अपनी कार्य कुशलता से उत्तराखण्ड राज्य की एक मजबूत नींव रखी, जिसे आज भी उत्तराखण्ड की जनता याद करती है। कि पं० तिवारी जी ने केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में 1980 में प्रवेश किया तथा

केन्द्र सरकार में उद्योग, इस्पात व खानमंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, विदेश, वित्त व वाणिज्य मंत्रालय को अपनी कार्य कुशलता से बेहतर ढंग से चलाया। कि पं० तिवारी जी का दुर्भाग्य रहा कि वे 1991 में लोक सभा चुनाव हार गये नही तो वे ही देश के प्रधानमंत्री होते।

कि पं० तिवारी जी जैसा शायद ही कोई ऐसा महापुरूष है जिनकी जयंती व पुण्य तिथि एक ही तारीख को हों।

सती ने कहा कि मेरा आपसे निवेदन है कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं कुशल प्रशासक पं० नारायण दत्त तिवारी जी की जयंती व पुण्य तिथि 18 अक्टूबर को सरकारी रूप से मनाये जाने का आदेश निर्गत कर उन्हें सम्मान देने की कृपा करेंगे।