अल्मोड़ा-एन एम ओ पी एस उत्तराखंड के कार्यकारिणी सदस्य
धीरेन्द्र कुमार पाठक ने जारी बयान में कहा कि उत्तराखंड के नौकरशाहों व नेताओं की कार्यप्रणाली किसी से छिपी नहीं है।सामान्य पत्र में भी कार्यवाही में छः महीने लग जाना सामान्य बात है और जिन मामलों में सचिवालय या मुख्यमंत्री कार्यालय से कार्यवाही करनी होती है उन पत्रों को फिर से छः से एक साल बाद संबंधित जिलों को भेजा जाता है।गोल्डन कार्ड का एक साल से क्या हाल है सभी विज्ञ है।सरकार गठन के बाद तुरंत तय सीमा तक पुरानी पेंशन बहाली न होने पर चरणबद्घ तरीके से आंदोलन की चेतावनी भी देना जरूरी है।अब स्पष्ट है कि पुरानी पेंशन राज्य का ही विषय है।सरकारों द्वारा पूर्व में दृढ़ इच्छाशक्ति नहीं दिखाई गयी नहीं तो पहले ही संभव था।चूंकि राज्य कार्मिकों व शिक्षकों के मामले में सरकार वास्तविक रूप में गंभीर नहीं है और अपनी ही बात पर कायम नहीं रहती है इसलिए पुरानी पेंशन बहाली को लेकर एक बार आर पार की लड़ाई की आवश्यकता होगी।सभी को एकजुट होना होगा।उन्होंने एन एम ओ पी एस उत्तराखंड के शीर्ष नेतृत्व से अनुरोध किया है कि प्रदेश स्तरीय बैठक जिसमें उत्तराखंड के सभी जनपदों के अध्यक्ष व सचिव भी शामिल हो की बैठक आहूत कर एलर्ट मोड पर जाने के लिए निर्देश दिए जाने की जरूरत है।उत्तराखंड का इतिहास रहा है कि बड़ी लड़ाई बिना आंदोलन के मुकाम पर नहीं पहुंची है।