अल्मोड़ा। यूं तो सरकार सड़क सुरक्षा के कितने दावे कर ले लेकिन धरातल पर पालन नहीं हो तो क्या कहें। अगर विभाग काम ना करे तो किसे जिम्मेदार माना जाय। मामला अल्मोड़ा नगर से सटे पांडेखोला क्षेत्र का है जहाँ एनएच वालों ने खानापूर्ति के नाम पर स्पीड ब्रेकर तो लगाए लेकिन जहाँ लगने चाहिए थे वहाँ लगाना छोड़ वहाँ लगाए जहाँ इतनी अधिक आवश्यकता नहीं थी। कुछ दिन पूर्व पांडेखोला क्षेत्र में एनएच पर एक सड़क दुर्घटना में 9 साल के मासूम की मौत हो गई। जिस जगह पर दुर्घटना हुई वहाँ पर सीधी सड़क है और अल्मोड़ा बाजार नहीं जाने वाले वाहन तथा भारी वाहन यहीं से होकर गुजरते हैं, यहीं पास में 2 पेट्रोल पंप भी हैं। दिन भर सड़क पर वाहनों की आवाजाही लगी रहती है। पूर्व में भी लोगों की मांग रही थी कि क्षेत्र में सड़क पर गति अवरोधक लगें लेकिन कुछ हुआ नहीं। जहाँ दुर्घटना हुई वहीं पास में सड़क से नीचे की तरफ आंगनबाड़ी केंद्र है जहाँ बच्चे आते हैं और थोड़ी दूर पांडेखोला बाईपास पर एक स्कूल भी है जहाँ स्थानीय बच्चे भी इसी सड़क से आते जाते हैं। यहाँ सड़क किनारे भी कई गाड़ियां लगी रहती हैं जिससे सड़क पर वाहन गुजरते समय जगह नहीं मिलने से बच्चे बुजुर्गों का चलना दूभर हो जाता है।
अब दुर्घटना के बाद विभाग चेता तो विभाग ने वहाँ आबादी क्षेत्र के 2 बोर्ड लगा दिए कि ‘आबादी क्षेत्र है’ जो कि वाहन चलाने वाला गाड़ी चलाते समय पढ़ेगा या गाड़ी चलाएगा। और जहाँ दुर्घटना हुई थी वहाँ सीधी सड़क है और एक भी स्पीड ब्रेकर नहीं है। स्पीड ब्रेकर नहीं तो वाहनों की गति पर कैसे लगाम लगेगी। सही जगह पर विभाग द्वारा स्पीड ब्रेकर नहीं लगाने पर स्थानीय लोगों में भी रोष है। जाने कब विभाग को याद आएगी और स्पीड ब्रेकर लगेंगे।