*सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा में गणित विभाग एवं सूचना और प्रोद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्त्वावधान में साइबर सिक्योरिटी विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन गणित विभाग के सभागार में हुआ। उद्घाटन अवसर पर संरक्षक प्रो जगत सिंह बिष्ट (कुलपति,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा), सत्र अध्यक्ष प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट (अधिष्ठाता प्रशासन), एस आई श्रीमती बरखा कन्याल (थाना प्रभारी,अल्मोड़ा), अतिथि वाई.एस. पपोला (शाखा प्रबंधक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया,पाण्डेखोला), सेमिनार संयोजक प्रो जया उप्रेती (संकायाध्यक्ष, विज्ञान), सह संयोजक डॉ सुभाष चंद्रा (प्रभारी, आई.टी.), आयोजक सचिव प्राची जोशी एवं डॉ सुमित खुल्बे आदि ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
जी 20 एवं आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित हुए इस संगोष्ठी में साइबर अपराध को लेकर मंथन हुआ। वक्ताओं ने बैंक धोखाधड़ी, ऑनलाइन ठगी, महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध, साइबर अपराध से बचने के उपाय, साइबर अपराध से बचने के लिए पुलिस प्रशासन के लॉन्च किए गए एप्लीकेशन, आदि पर गहन चर्चा हुई।
सेमिनार संयोजक प्रो जया उप्रेती (संकायाध्यक्ष, विज्ञान) ने अतिथियों का स्वागत किया और साइबर अपराधों से सचेत रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि आज साइबर अपराध बढ़ रहे हैं जो चिंता का विषय है। उन्होंने साइबर अपराध के संबंध में आयोजित सेमिनार से सीखने की बात भी कही।
सह संयोजक डॉ सुभाष चंद्रा ने साइबर सुरक्षा को लेकर आयोजित सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि इंटरनेट से जुड़े होने के कारण अपराधों का बढ़ना भी चिंता का कारण है।
कार्यक्रम संरक्षक रूप में प्रो जगत सिंह बिष्ट (कुलपति,सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा) ने अपने वक्तव्य में कहा की राज्य सरकार द्वारा दिये गए आदेशों के तहत जी 20 के अंतर्गत विश्वविद्यालय में गंभीर विषयों पर कई कार्यक्रम किये जा चुके हैं। इसी के तहत साइबर सुरक्षा को लेकर आयोजित हुआ यह 10वां कार्यक्रम है।
साइबर आज के जीवन में मानव का अभिन्न अंग बन गया है। आज अखबार में साइबर अपराध से लेकर कई सूचनाएं बढ़ी हैं। छवि गिराने के लिए साइबर अपराध का सहारा लिया जा रहा है। आज इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से प्रशासनिक कार्य, बैंकिंग कार्य, शिक्षण कार्य सम्पादित होते हैं। ऐसे में अपराधी मौके का फायदा उठाकर अपराध कर रहे हैं। अपराधी प्रलोभन देकर फायदा उठा रहे हैं। इसलिए साइबर सुरक्षा के लिए बैंक एवं पुलिस विभाग के द्वारा सुझाये गए नियमों को अपनाएं। विज्ञान और तकनीक को लेकर कहा कि आज विज्ञान एवं तकनीकी ने लाभ दिया है, साथ ही साथ संकट भी पैदा किया है।
सत्र अध्यक्ष प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट (अधिष्ठाता प्रशासन) ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज हम मोबाइल एवं कम्प्यूटर के बिना नहीं रह सकते हैं। यह दोनों ही इंटरनेट से जुड़े हैं और ऐसे में साइबर सुरक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है। कोविड के दौर में इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा संचालित हुई है, यह सकारात्मक पक्ष है लेकिन इंटरनेट से हर दिन घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
उन्होंने आयोजकों को महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित सेमिनार के लिए बधाई दी।
बरखा कन्याल ( महिला थाना प्रभारी,अल्मोड़ा) ने अपने वक्तव्य में कहा कि सोशल मीडिया में यदि आपके प्रोफाइल को लेकर अशोभनीय टिप्पणी कर तो आप पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। उन्होंने कहा की पुलिस भी ऑनलाइन है और शिकायतकर्ताओं की शिकायतों का समाधान करती है। यदि कोई आपके सामाजिक मीडिया के विभिन्न पटलों का दुरुपयोग कर रहा है तो आप बिना झिझके पुलिस को सूचना दें। उन्होंने उत्तराखंड पुलिस एप्प की जानकारी दी।

अतिथि वाई एस पपोला (मैनेजर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज बैंकिंग की सुविधा आपके मोबाइल में हैं। इंटरनेट के माध्यम से बैंक जुड़े हैं। जिससे ग्राहकों को लाभ मिला है। किंतु इंटरनेट ने सुविधा देने के बाद वहां अपराधियों के द्वारा अपराध की संख्या बढ़ रही है। उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा बैंकिंग सुविधा और साइबर अपराधों से बचने के लिए टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि अपने बैंक के पास वर्ड मोबाइल में न रखें। हैकर कभी भी फ़ोन हैक कर सकते हैं। उन्होंने डेबिट/क्रेडिट कार्ड सुरक्षा, मोबाइल बैंकिंग सुरक्षा, सामाजिक मीडिया सुरक्षा पर प्रकाश डाला। उन्होंने लॉगिंग,ट्रांसफर और प्रोफाइल सुरक्षा के बारे में विस्तार से बताया।
इसके अलावा एसबीआई के संतोष ने कैशलेस बैंकिंग, डिजिटल इकोनॉमी आदि की जानकारी दी।
कार्यक्रम का संचालन इंजीनियर रवींद्रनाथ पाठक ने किया और आभार सुश्री प्राची जोशी ने जताया।
इससे पूर्व अतिथियों का बैज अलंकरण, प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत किया गया।
इस अवसर पर प्रो भीमा मनराल (संकायाध्यक्ष, शिक्षा),डॉ पारुल सक्सेना, डॉ नंदन सिंह बिष्ट, डॉ देवेंद्र सिंह धामी, डॉ नवीन भट्ट, डॉ अनामिका पंत, इंजी.अर्पिता जोशी, डॉ सुशील भट्ट,पारस नेगी,डॉ ललित जोशी, डॉ दीपा कांडपाल,डॉ पवन जोशी, डॉ कालीचरण, डॉ बिभाष मिश्रा, डॉ बी सी एस चौहान,डॉ तिलक जोशी, भगवान दास वर्मा,अनूप बिष्ट आदि सहित गणित एवं आई टी के विद्यार्थी, शिक्षक, शोधार्थी शामिल हुए।