सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता शैक्षिक प्रो शेखर जोशी ने अपने काव्य संग्रह ‘सेवा से सृजन’ को प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी को भेट स्वरूप दी। कवि प्रो शेखर चंद्र जोशी ने कहा कि सेवा में सृजन का मेरे जीवन में गहरा संबंध रहा। परिवार, समाज देश सेवा सभी आवश्यक हैं। इसमें सृजन का समावेश सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर होता है। सबके लिए प्रेरणादायी होता है। पूर्वजों की प्रेरणा से प्रेरित हो मेरी सेवा सदैव सृजन की ओर रही है जिसे मैंने चित्रकारी व लेखन दोनों ही ओर ध्यान लगाते हुए परिवार,समाज व देश सेवा की ओर उन्मुख किया। यह प्रकाशन भी उसी ओर प्रत्येक के लिए प्रेरणादायी होना चाहिए ऐसा मेरा विश्वास है।
एसएसजे के कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने प्रो जोशी के काव्य संग्रह के प्रकाशन पर उन्हें बधाई दी।
सेवा से सृजन में सरदार बल्लभ पटेल, कल्पना की बलि, अतृप्त भूख,कला, मां, मां का ऋण, प्रकृति के रंग, जीवन, हिन्दुस्तानी, सेवा से सृजन, आजादी, परमाणु विस्फोट, आशा, जिंदगी, लोक कलाएं , क्राफ्ट आदि शीर्षकों की इक्यावन कविताएं हैं। जिनमें कवि ने जो देश/समाज में जो घटित हुआ है, उसको भावनाओं में पिरोकर कविताओं का सृजन किया है। कवि प्रो शेखर जोशी की कविताओं में सामाजिक समस्याओं पर भी कविता रूप में चिंता प्रकट होती है। कवि ने कला को उन्होंने अपनी आत्मा से जोड़ा है। कला को लेकर भी कई कविताएं इस संग्रह में लिखी हैं।