अल्मोड़ा – उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) प्रस्ताव पर गठित विशेषज्ञ समिति ने आज अल्मोड़ा पहुॅचकर विकास भवन सभागार में जनपद के नागरिकों का पक्ष सुनने के लिए परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान स्थानीय प्रबुद्धजनों, महिलाओं, युवाओं, चिकित्सक संघ, स्वयंसेवी संगठनों, एनजीओ, बार एसोसिएशन, प्रेस प्रतिनिधियों, पंचायत प्रतिनिधियों समेत अन्य नागरिकों ने इस गोष्ठी में प्रतिभाग किया। इस दौरान लिव इन रिलेशनशिप पंजीकरण, एल0जी0बी0टी0क्यू0 समुदाय, शादी के लिए आयु सीमा को बढ़ाना, उत्तराधिकार, शादी, तलाक़, संरक्षण, विवाह पंजीकरण, दहेज जैसे अनेक विषयों पर सभी ने अपने अपने सुझाव दिए। इस दौरान ज्यादातर लोगों ने लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण, शादी के लिए आयु में बदलाव तथा एल0जी0बी0टी0क्यू0 समुदाय के हितों को लेकर अपने सुझाव दिए।
बैठक को प्रारंभ करते हुए विशेषज्ञ समिति के सदस्य एवं पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखंड शासन शत्रुघ्न सिंह ने समान नागरिक संहिता के संवैधानिक प्रावधानों पर प्रकाश डाला तथा कहा कि उक्त समिति राज्यभर में भ्रमण कर लोगों से इस कानून पर सुझाव, उनके विचार, विभिन्न वर्गों, जनजातियों के रीति-रिवाजों के बारे में सभी लोगों की राय ले रही है। जिससे समान नागरिक संहिता कानून का ड्राफ्ट बनाते समय सभी धार्मिक एवं संास्कृतिक भावनाओं का सम्मान करते हुए तथा विभिन्न प्रावधानों को समेट कर अपनी संस्तुति सरकार को दे सके। उन्होंने कहा कि इस कानून का मसौदा बनाते समय धर्म, संप्रदाय, जाति एवं रीति रिवाजों का सम्मान करते हुए सभी लोगों के सुझावों पर विचार किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान तक लगभग सवा दो लाख से ज्यादा सुझाव कमेटी को ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में की गई बैठकों में ज्यादातर सुझाव शादी के लिए उम्र सीमा को बढ़ाने, लड़के एवं लड़कियों को बराबरी का अधिकार देने समेत लैंगिक भेदभाव को समाप्त करने के सुझाव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता कानून के लिए इतनी बड़ी संख्या में सुझाव मिलना यह दर्शाता है कि यहां लोग इस कानून के प्रति बेहद सजग हैं।
बैठक में आए लोगों ने समान नागरिक संहिता कानून के बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए तथा कानून में सामयिक परिस्थितियों को देखते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता समय की मांग है तथा विभिन्न धर्मों की भावनाओं एवं विभिन्न संवैधानिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसे लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए।
इस दौरान विशेषज्ञ समिति के सदस्य अनु गौड़, मुख्य विकास अधिकारी अंशुल सिंह समेत विभिन्न धर्मों, समुदायों, समेत विभिन्न पृष्ठभूमि के व्यक्ति उपस्थित रहे।