आपका कचराएक कीमती रिसोर्स भी हो सकता है यदि घर में ही उसका पृथक्करण उसी जगह पर किया जाए जहां पर वह कचरा पैदा हो रहा है।  इस वर्ष गांधी जयंती के अवसर पर ग्रीन हिल्स संस्था 20 सितंबर से 4 नवंबर दिवाली तक ई-वेस्ट कलेक्शन का एक कार्यक्रम चला रही है।  साथ ही घर के अंदर ही कंपोस्ट बनाने के लिए शहर के कुछ हिस्सों में बोकाशी विधि से कम्पोस्टिंग की शुरुआत भी करने जा रही है।  कम्पोस्टिंग का आरंभ आफिसर्स कॉलोनी और नरसिंहबाड़ी के उन घरों से किया जाएगा जो लोग इसके लिए इच्छुक होंगे।

इस समय ई-वेस्ट एक बहुत बड़ी समस्या हो चुका है और भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ई-वेस्ट पैदा करने वाला देश बन चुका है।  ई-वेस्ट का निस्तारण जब उचित सुविधाओं के साथ नहीं किया जाता है तब उससे निकलने वाले हैवी मेटल्स वातावरण को प्रदूषित करते हैं और हवा, जमीन, पानी को अपूर्णीय क्षति पहुंचाते हैं।  हम सौभाग्य शाली हैं की उत्तराखंड (रूड़की) में एक ऐसी फैक्टरी है जहां ई-वेस्ट की आधुनिक तकनीकों के साथ उचित तरीके से रिसायकलिंग की जाती है।

प्रकृति को हमारा दीपावली उपहार – ई-वेस्ट कलेक्शन के लिए अल्मोड़ा शहर, कसार देवी क्षेत्र, रानीखेत, चौबटिया  और मझखाली  के विध्यालयों, दुकानों, होटलों आदि में कलेक्शन बॉक्सेस रखे जाएंगे जिसमें सभी लोग अपने ई-वेस्ट को स्वयं जाकर जमा कर सकते हैं। ई-वेस्ट यानि कि कोई भी वह सामान जिसे इस्तेमाल करने के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है और जो अब किसी काम के नहीं रहते चाहे वो कितने भी कीमत के रहे हों, जैसे कि मोबाईल फोन, चार्जर्स, कैमरा, कैलकुलेटर्स, विडिओगेम्स, म्यूजिक सिस्टम, टीवी, बल्ब, वाशिंग मशीन, इलेक्ट्रिक वायर, फ्रिज, मिक्सर ग्राइन्डर्स , लैपटॉप्स, टौर्च, बैटरी, अवन इत्यादि| प्रशासन की मदद से ग्रीन हिल्स के द्वारा एक पिक अप गाड़ी वयवस्था करी जाएगी, जिससे यदि कोई भारी सामान हो तो उसे उठा लिया जाएगा। इस ई-वेस्ट को रुड़की स्थित अटेरो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को भेजा जाएगा। जहां इसकी रीसाइक्लिंग की जाएगी ।  हम आप सब को आमन्त्रित करते है की इस अवसर का लाभ उठाएं और पर्यावरण के संरक्षण मे योगदान दें और हैवी मेटल्स से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को कम करने में सहायक हों।  ई-वेस्ट कलैक्शन कार्य को लाल फैमिली फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा सहयोग दिया जा रहा है।

बिना स्थान के बोकाशी द्वारा कंपोस्टिंग – घर से निकलने वाले 60% से ज़्यादा कचरे से खाद बनाई जा सकती है| और उसके  उपयोग  से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाई जा सकती है। जब गीला कचरा बाकी कूड़े के साथ मिक्स हो जाता है तो मिथेन गैस छोड़ता है जिससे बहुत बदबू आती है, और यह ग्लोबल वार्मिंग भी करता है ।  इस गीले कचरे से खाद बनाने की एक जापानी विधि है जिसे बोकाशी विधि कहते है । इस विधि से किचन के अंदर ही डिकम्पोज़ किया जा सकता है। जिससे मक्खी, मच्छर भी नहीं फैलते है, और बदबू भी नहीं आती है ।

इस कार्य की शुरुआत ग्रीन हिल्स द्वारा शहर के कुछ हिस्सों के 100 घरों मे की जाएगी जो घर इस कार्य को करने के इच्छुक होंगे । बोकाशी एक जापानी विधि है, जिसमें आप अलग से रखे हुए सब्जी एवं फलों के छिलके, चायपत्ती, बचा हुआ खाना, अंडे के छिलके, मांस, मछली आदि को दिन मे एक बार अपने बोकाशी बिन  मे डालकर उसके ऊपर दो मुट्ठी हमारे द्वारा तैयार किया गया इनोकुलेन्ट पाउडर समान रूप से बुरक दें और कसकर ढक्कन बंद कर दे |जब तक बोकाशी बिन ना भर जाए तब तक इस प्रक्रिया को रोज करते रहें| कुछ दिनों मे बोकाशी बिन मे थोड़ा पानी ईकट्ठा होने लगेगा इसे नल खोलकर एकत्रित कर लें| इस पानी मे 10 हिस्सा साफ पानी मिलाकर पैाधों मे डाल सकते है यह बहुत अच्छी खाद है | इसे नालियों अथवा सेप्टिक टैंक मे भी डाला जा सकता है | जब एक बोकाशी बिन भर जाए तब दूसरे बोकाशी बिन का इस्तेमाल इसी तरह करें| बोकाशी बिन से पानी लगातार लगाकर एकत्रित करते रहें| ग्रीन हिल्स की टीम द्वारा इसे कंपोस्ट पिट मे खाली किया जाएगा| आप स्वयं भी इस कंपोस्टिंग प्रोग्राम मे प्रतिभाग करें और अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करें|

जिला अधिकारी महोदय ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है और कहा है कि कार्य की शुरुआत उनके घर से की जाए। यह पायलेट प्रोजेक्ट 19 सितम्बर से ऑफिसर कलोनी और नरसिंहवाडी से प्रारंभ किया जाएगा । धीरे-धीरे अन्य स्थानों पर भी शुरू किया जाएगा । यदि यह कार्य सफल होने पर विस्तृत रूप मे किया जाएगा तो इससे चारों तरफ की फैली गंदगी साफ होगी ।  और साथ ही बंदरों का उत्पात भी कम होगा । और शहर के कचरे को ट्रन्चिंग ग्राउन्ड पहुचाने के खर्चे में भी कमी आएगी । बोकाशी पायलेट प्रोजेक्ट के लिए बैनीयन टूअर्स प्रा० लि० मुंबई द्वारा सहयोग दिया जा रहा है ।  ये दोनों ही पहल स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के लिए बहुत आवश्यक हैं।