अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर कुलपति प्रो0 एन0एस0 भण्डारी के व्यापक व दूरगामी दृष्टिकोण के तहत् कम्प्यूटर विज्ञान विभाग द्वारा एक संगोष्ठी का आयोजन गणित विभाग के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय यूनेस्को द्वारा निर्धारित बहुभाषी शिक्षण के लिए तकनीक का प्रयोग अवसर और चुनौतियाँ”विषय था। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि प्रो0 प्रवीण सिंह बिष्ट अधिष्ठाता प्रशासन, विशिष्ट अतिथि प्रो0 जया उप्रेती अधिष्ठाता विज्ञान संकाय, मुख्य वक्ता प्रो0 भीमा मनराल अधिष्ठाता शिक्षा संकाय थे। कार्यक्रम की संयोजिका डॉ0 पारूल सक्सेना ने यूनेस्को के इतिहास व कार्य प्रणाली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व विरासत के संरक्षण के साथ-साथ मातृभाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में भी यूनेस्को की प्रभावी भूमिका रही है तथा साथ ही साथ कम्प्यूटर विज्ञान ने अनेक तकनीकियों को विकसित करने तथा उनके उपयोग हेतु विश्वव्यापी भूमिका निभाई है। प्रो0 शेखर जोशी ने मातृभाषा को मनुष्यमात्र की विशिष्ट पहचान बताते हुए कहा कि मातृभाषा में जो समझ विकसित होती है अन्यत्र ऐसा होना अत्यन्त दुष्कर है। मुख्य अतिथि प्रो0 प्रवीण बिष्ट द्वारा ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि किस प्रकार बांग्लादेश के स्वतंत्र राष्ट्र बनने के उपरान्त वहाँ बांग्ला भाषा हेतु आंदोलन हुए तथा यूनेस्को द्वारा मातृभाषा की आवकश्यता को समझा गया।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ0 भीमा मनराल द्वारा विस्तारपूर्वक शिक्षा, शिक्षण तकनीकी, शिक्षा आयोगों तथा उनके सुझावों पर व्यापक प्रकाश डाला गया तथा यह बताया गया कि किस प्रकार राधाकृष्णन आयोग द्वारा सर्वप्रथम तकनीकी निर्दशन की बात की गयी थी, साथ ही ज्ञान आयोग के अध्यक्ष सैम पेत्रोदा के विचारों को भी संदर्भ में लिया गया। व्यवहारिक रूप से तकनीकी की चुनौतियों तथा अनुप्रयोगों का भी विस्तारपूर्वक विवरण डॉ0 मनराल द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में समस्त मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 पारूल सक्सेना तथा समापन वक्तव्य डॉ0 मनोज कुमार बिष्ट द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ0 सुशील चन्द्र भट्ट, डॉ0 रवीन्द्र नाथ पाठक, डॉ0 रेहान सिद्दीकी, डॉ0 दीपा काण्डपाल, डॉ0 लल्लन सिंह, के0एस0 चौहान, अनूप सिंह बिष्ट, कमल जोशी, हरीश, मनोज सिंह, हेमलता अवस्थी, तथा कम्प्यूटर व गणित विभाग के अनेक छात्र-छात्राऐं उपस्थित रहें।