पूर्व मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया है कर्नाटक ने ज्ञापन में कहा है कि सरकारी संस्थानों को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, वर्तमान समय में यह अत्यन्त आवश्यक भी है । यह सर्व विदित है कि कोरोना काल में सरकारी सेवक जिनमें चिकित्सक, चिकित्सा स्टाफ, पुलिस विभाग, प्रशासनिक विभाग आदि सहित समस्त विभागों का अपना -अपना योगदान रहा है। इसके अतिरिक्त सरकारी संस्थान, अस्पताल, स्कूल, पंचायतघर आदि यहां तक कि भारतीय रेल के डिब्बों में भी क्वारंटाईन सैन्टर/अस्पताल बनाकर लोगों को सहायता प्रदान की गयी । जबकि प्राइवेट संस्थान, प्राइवेट कम्पनीज, प्राइवेट फैक्ट्री द्वारा अपने कर्मचारियों यहां तक कि घर में कार्य करने वाले कार्मिकों तक को पूंजीपतियों द्वारा निकाल दिया गया । जहां एक ओर प्राईवेट अस्पताल लगातार जरूरतमदों से लाखों रूपयों का बिल वसूल रहे थे वहीं सरकारी अस्पताल व उसके कार्मिक इस मेडिकल आपात काल के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर उत्कृष्ठ कार्य कर निःशुल्क मानव सेवा को अपना धर्म मानकर अपने परिवार की परवाह न कर जरूरतमंदों की सेवा करने में लगे हुये हैं । यही स्थिति अन्य सरकारी भवनों, सरकारी स्कूलों की है जो कोरोना काल में क्वारंटीन सैन्टर बने तथा इनमें कार्यरत कार्मिक विशेषतौर पर शिक्षकों ने 24 घंटे मानव सेवा हेतु अपना सर्वस्व न्यौछावर किया ।
कर्नाटक ने कहा कि सरकारी विभागों का निजीकरण किया जा रहा है, यह अत्यन्त ही बहुत दुर्भाग्य का विषय है । आज ऐसे विभाग जो लगातार राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे उन्हें केन्द्र सरकार द्वारा निजी हाथों में सौंपने/बेचने की साजिश रची जा रही है, जो राष्ट्रहित में नहीं है । इससे लाखों कर्मचारियों का परिवार तो प्रभावित होगा ही वहीं अन्य सरकारी विभाग भी निजीकरण के भय से अपना कार्य करने में अपने को असहज महसूस करेंगे । देश की आजादी के समय अनेकों राजे रजवाडों की रियासतों को विलय कर भारत को विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र के रूप में स्थापित किया गया किन्तु आज निजीकरण की आड में देश की सम्पत्ति को चंद पूंजीपति घरानों को सौंप देने की परम्परा सी बना दी गयी है। जिससे देश का लोकतंत्र तो कमजोर होगा ही वहीं देश उन पूंजीपतियों के अधीन हो जायेगा जो परिवर्तित रजवाडों के रूप में हमारे सामने उभर कर आयेंगे शायद ये उन रजवाडों से भी अधिक सख्त व बेरहम होंगे ।
वर्ष 1947 में 562 रियासतों का विलय कर देश का निर्माण किया गया किन्तु आज देश की महत्वपूर्ण सम्पत्ति चंद पूंजीपति घरानों को सौंप दी जा रही है । जैसा पूर्व में रियासतों के दौरान होता था हर कदम में पैंसे की उगाही अंग्रेज किया करते थे अब यह पूंजीपति परिवार इस निजीकरण के पश्चात अंग्रेजों के नक्शे कदम पर चलकर गरीबों से उगाही का कार्य करेंगे ।
कर्नाटक ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुये सरकारी घाटे का बहाना न बनाकर सरकारी संस्थानों का निजीकरण न करे । यदि किसी विभाग/संस्था में घाटा भी है तो सरकार उस प्रबन्धन को ठीक कर समायोजित करे । आपसे आग्रह है कि इन सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में बेचने की साजिश करने वाले मंत्रालय व उनके अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने का कदम उठा कर देश के जनमानस के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने का कार्य करेंगे। यही दिशानिर्देश राज्य सरकारों को भी निर्गत करने की कृपा करेंगे ।